3 वर्ल्ड फेमस लोग जो शुरूआत में बहुत डरपोक थे, पढ़िए फीयर मैनेजमेंट की 3 ट्रिक - MOTIVATIONAL ARTICLE IN HINDI

Bhopal Samachar
शक्ति रावत।
कई लोगों को स्टेज या भीड़ के सामने बोलने में डर लगता है, कई बार यह डर इस कदर हावी होता है, कि दस-बीस लोगों या परिवार के ज्यादा सदस्यों के सामने बोलने में भी इंसान घबराने लगता है। ऐसा ज्यादातर इंट्रोवर्ट यानि अंर्तमुखी लोगों के साथ होता है। 

क्या इंट्रोवर्ट लोग कभी सफल नहीं हो पाते

एक्ट्रोवर्ट या बर्हिमुखी लोग जितनी आसानी से अपनी बात सबके सामने रख लेते हैं, उतनी आसानी से इंट्रोवर्ट लोग नहीं रख पाते। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि ऐसे लोगों में आत्मविश्वास की कोई कमी होती है, फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग और ओप्राविन फ्रे से लेकर इंट्रोवर्ट लोगों की लिस्ट काफी लंबी है, जो सफलता के शिखर पर हैं, दरअसल ऐसा फीयर मैनेजमेंट यानि अपने डर को काबू नहीं कर पाने की वजह से होता है, जो ज्यादातर मौकों पर काल्पिनक ही होता है। आईये जानते हैं कैसे।

1- महात्मा गांधी भी इंट्रोवर्ट थे, पढ़िए उन्होंने डर पर काबू कैसे पाया

लंदन में पढ़ाई के दिनों में महात्मा गांधी को वेजीटेरियन कम्यूनिटी के सामने भाषण देने के लिए बुलाया गया। लोगों को सामने देखकर मंच से गांधी इतने नर्वस हो गए कि छोटे से भाषण की पहली लाइन ही पढ़ पाए और उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने डर पर काबू पाना शुरू किया, लोगों के बीच बोलकर झिझक मिटाई और एक दिन ऐसा भी आया कि पूरे देश ने गांधी को सुना।

2- सोशल फोबिया से मुक्ति के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति थॉमस जैफरसन का तरीका

अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थामस जैफरसन को सोशल फोबिया था। आठ साल अमेरिका के राष्ट्रपति रहे थामस की जीवनी में लिखा है, कि वे जब भी जोर से बोलने की कोशिश करते थे, उनकी आवाज गले में दबने लगती थी, इस डर से वे बहुत कम भीड़ के सामने बोलते थे, इस तरह के डर को मिटाने का आसान उपाय है, कि जब भी मौका मिले आईने के सामने खड़े होकर अभ्यास करें। इससे आपके अंदर आत्मविश्वास पैदा होगा और संकोच जाता रहेगा।

3- अंर्तमुखी व्यक्तित्व से मुक्ति के लिए वॉरेन बफे की ट्रिक

दुनिया की तीसरी नामी हस्ती बारेन बफे, कॉलेज के दिनों में खुलकर अपनी बात नहीं रख पाते थे, इसलिये वे ऐसे कोर्स में एडमीशन भी नहीं लेना चाहते थे, जहां उन्हें क्लास में खड़े होकर बोलने की जरूरत पड़े। फिर उन्होंने पब्लिक स्पीकिंग कोर्स ज्वाइन किया जहां उन्हें अपने जैसे और भी कई लोग मिले। 

दुनिया में कोई भी सर्वज्ञाता नहीं है, और कोई ऐसा नहीं जिससे गलती नहीं होती, बड़े-बड़े वक्ता भी बोलने में गड़बड़ी कर जाते हैं, इसलिये लोगों की परवाह छोडक़र पूरे विश्वास के साथ स्पष्टता से अपनी बात कहने की आदत पैदा कीजिये। फिर चाहे वह अकेले व्यक्ति से कहनी हो या फिर भीड़ के सामने। - लेखक मोटीवेशनल एंव लाइफ मैनेजमेंट स्पीकर हैं। 

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