भोपाल। चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के ऑफिस में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कारण जमकर हंगामा हुआ। व्यापारियों के हितों का संरक्षण करने वाले संगठन के सदस्य भाजपा और कांग्रेस दो गुटों में विभाजित हुए दिखाई दिए। राजनीति की शुरुआत गोविंद गोयल ने की। उनके खिलाफ शिवराज सिंह चौहान समर्थक लामबंद हो गए। चुनाव अधिकारी को इस्तीफा देना पड़ा और मतदान का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।
भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चुनाव की घोषणा हो गई थी
चैंबर चुनाव पहले 29 अगस्त को प्रस्तावित थे, लेकिन 26 अगस्त को बैरागढ़/शाहजहांनाबाद SDM मनोज उपाध्याय ने कोरोना प्रतिबंधों का हवाला देते हुए वोटिंग पर रोक लगा दी थी। चेंबर की ओर से लिखित में आश्वासन दिया गया ताकि मतदान के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। इसके बाद वोटिंग के लिए अनुमति मिल गई थी। दिनांक 12 सितंबर 2021 को मतदान का दिन निर्धारित किया गया था।
कुछ सदस्य चुनाव नहीं चाहते
चुनाव कार्यक्रम को प्रशासन की स्वीकृति मिलने के बाद ही चेंबर के नेताओं के बीच गुटबाजी स्पष्ट दिखाई देने लगी थी। आज दोपहर कोहेफिजा स्थित ऑफिस में चैंबर के सदस्य इकट्ठा हुए और चुनाव की तारीख घोषित करने का विरोध जताने लगे। कुछ ही देर में हंगामा बढ़ गया और नोकझोंक-नारेबाजी होने लगी। एक-दूसरे को देख लेने तक की धमकियां दी जाने लगी।
गोविंद गोयल की राजनीति से शुरू हुआ हंगामा
मामला व्यापारियों का था लेकिन गोपाल चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य गोविंद गोयल ने बेवजह दिग्विजय सिंह की तारीफ करना शुरू कर दिया। इसी के साथ हंगामा शुरू हो गया। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े चेंबर के सदस्य गोविंद गोयल का विरोध करते हुए 'जय-जय श्रीराम' के नारे लगाने लगे। खबर है कि इस दौरान दोनों पक्षों के बीच जमकर विवाद हुआ। एक दूसरे को देख लेने की धमकी दी गई। सूत्र तो यहां तक कह रहे हैं कि एक दूसरे पर कुर्सियां उठा ली गई थी।
चुनाव अधिकारी मुकेश सेन ने इस्तीफा दिया, मतदान स्थगित
कुछ सदस्यों का कहना था कि चुनाव अधिकारी मुकेश सेन ने वोटिंग कराने की 12 सितंबर तारीख कैसे घोषित कर दी, जबकि 2 से 20 सितंबर के बीच वोटिंग न कराने की सहमति पहले ही बनाई जा चुकी थी। इस अवधि में गणेशोत्सव एवं पर्यूषण पर्व है। इधर, हंगामे और भारी दबाव के बाद चुनाव अधिकारी सेन ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, वे चैंबर के सचिव पद पर बने रहेंगे। इसके बाद वोटिंग स्थगित कर दी गई। अब चुनाव की अगली तारीख को लेकर कार्यकारिणी की बैठक होगी। जिसमें अगली तारीख को लेकर फैसला होगा।
चुनाव अधिकारी पर लगे एक पक्ष का साथ देने के आरोप
भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चुनाव हाईप्रोफाइल बन गए थे। इसमें कई बड़े उद्योगपतियों ने अध्यक्ष व अन्य सीटों पर अपनी पैनल उतारे थे। इधर, चुनाव को लेकर चुनाव अधिकारी सेन पर सब कुछ निर्भर था। वे ही चुनाव की प्रक्रिया कर रहे थे। ऐसे में एक धड़े का आरोप था कि वे एक पैनल का समर्थन कर रहे हैं। इससे चुनाव प्रभावित होंगे।
इधर, सेन ने वोटिंग की 12 सितंबर की तारीख घोषित कर दी तो इस मामले ने आग में घी डालने जैसा काम किया। आखिरकार सेन की चुनाव अधिकारी के पद से विदाई हो गई। हालांकि, उन्होंने स्वैच्छा से इस्तीफा दिया है। इस्तीफे के बाद सेन ने अपना मोबाइल स्वीच ऑफ कर लिया।
4 पैनल के बीच था मुकाबला
इससे पहले 29 अगस्त और 12 सितंबर को प्रस्तावित चुनाव में परिवर्तन, सद्भावना, प्रगतिशील एवं व्यापारी का साथ, सबका विकास पैनल के 55 प्रत्याशी मैदान में थे। वे 24 पदों के लिए चुनाव लड़ रहे थे। इनमें अध्यक्ष समेत 3 उपाध्यक्ष, 1 महामंत्री, 2 मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष, 1 सह-कोषाध्यक्ष और 15 कार्यकारिणी शामिल हैं। हालांकि, परिवर्तन, सद्भावना एवं प्रगतिशील पैनल के बीच मुख्य मुकाबला था।
चुनाव अधिकारी से जबरदस्ती इस्तीफा लिखवाया: पाली
चुनाव निरस्त होने से पैनलों के प्रत्याशियों में निराशा है और वे आरोप लगा रहे हैं। प्रगतिशील पैनल से अध्यक्ष पद के दावेदार तेजकृपाल सिंह पाली ने कहा कि बार-बार चुनाव स्थगित कराने के पीछे कोई षड़यंत्र है। कुछ लोग शुरू से ही नहीं चाह रहे थे कि चुनाव हो। 50-60 लोगों ने दफ्तर में आकर और शटर बंद कराकर चुनाव अधिकारी को दबाव में लेकर जबरदस्ती इस्तीफा लिखवा लिया। इसमें अध्यक्ष ललित जैन भी शामिल हैं। इसकी निंदा करता हूं।
जल्दी मीटिंग लाएंगे, नई तारीख घोषित करेंगे: चेयरमैन ललित जैन
चैंबर के सदस्यों ने शिकायत की थी कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं अपनाई जा रही है। वहीं चुनाव अधिकारी पर भी आरोप लगाए थे। इसे लेकर ऑफिस में नोकझोंक हुई। इसके बाद मुकेश सेन ने चुनाव अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दया। इसके चलते अब 12 सितंबर को वोटिंग नहीं होगी। अगली तारीख कार्यकारिणी तय करेगी। इसे लेकर जल्द मीटिंग बुलाएंगे। ललित जैन, अध्यक्ष भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
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