बन्दी-प्रत्यक्षीकरण रिट:-
बंदी प्रत्यक्षीकरण का अर्थ होता है निरूद्ध या गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करवाना। जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से गिरफ्तार किया जाता है तब ऐसे व्यक्ति की स्वतंत्रता इसी रिट के माध्यम से सुरक्षित की जाती है। यह रिट किसी भी पुलिस अधिकारी, जेल अधिकारी या कोई भी प्राइवेट व्यक्ति के लिए निकली जा सकती है जिसने व्यक्ति को बन्दी बनाकर रखा हुआ है। अगर कोई व्यक्ति या अधिकारी इस रिट की आज्ञा का उल्लंघन करता है तो न्यायालय की अवमानना का दण्ड दिया जाएगा।
न्यायालय इस रिट के द्वारा:-
1. गिरफ्तार करने वाले व्यक्ति से गिरफ्तारी का कारण पूछेगा।
2. गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश देगा।
उपर्युक्त विषय पर ही बन्दी प्रत्यक्षीकरण पर रिट याचिका जनहित वाद में प्रस्तुत की जा सकती हैं।
ये रिट याचिका कब दायर नहीं कि जा सकती है:-
1. जब कोई व्यक्ति उस उच्च न्यायालय की अधिकारिता के भीतर निरूद्ध नहीं है तब।
2. कोई गिरफ्तार व्यक्ति किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो तब, अर्थात अपराध सिद्ध होने के बाद उसे बंदी बनाकर रख सकते हैं।
3.किसी अभिलेख न्यायालय अथवा संसद द्वारा अवमानना के लिए या कार्यवाही में हस्तक्षेप करने पर।
【बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट और भी विस्तृत हैं पर हमारा उद्देश्य आपको कम शब्दों में ज्यादा एवं सरल भाषा में जानकारी देना है】:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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