यदि कोई व्यक्ति सामान्य श्रेणी के अपराध (असंज्ञेय अपराध) की शिकायत पुलिस थाने में करता है तो पुलिस अधिकारी दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 155 के अंतर्गत ऐसी शिकायत की अपने एनआरसी रजिस्टर में दर्ज करते करता है। और इस रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट (SDM) को भेज देता है।
कभी कभी ऐसा होता है कि पुलिस थाने में गंभीर अपराध (संज्ञेय अपराध) की शिकायत आती है परंतु पुलिस अधिकारी उसे असंज्ञेय अपराध बता कर कार्रवाई करता है, ऐसी स्थिति में मजिस्ट्रेट अपराध की प्रकृति जानने के लिए (कि अपराध सामान्य है अथवा गंभीर) अपने स्तर पर जांच करवा सकता है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 159 की परिभाषा (सरल शब्दों में)
अगर किसी मजिस्ट्रेट को किसी असंज्ञेय अपराध की रिपोर्ट किसी पुलिस अधिकारी द्वारा दी जाती है तब वह उपर्युक्त धारा के अंतर्गत उस अपराध की प्रारंभिक जाँच या अन्वेषण पुलिस अधिकारी से करवाएगा। अगर मजिस्ट्रेट को लगता है कि यह असंज्ञेय अपराध, संज्ञेय अपराध की श्रेणी का हो सकता है तब वह इसका अन्वेषण या जाँच के लिए तुरंत अपने अधीनस्थ किसी मजिस्ट्रेट को नियुक्त कर सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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