वैसे तो दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 (1) यह बताती है कि कोई भी थाने का थाना इंचार्ज किसी भी गम्भीर अपराध होने की प्रथम सूचना रिपोर्ट अपने रजिस्टर में दर्ज करे या असंज्ञेय अपराध होने पर धारा 155 के अनुसार NRC दर्ज करके न्यायालय के आदेश पर कार्यवाही करें। लेकिन सवाल यह है कि क्या कोई थाने का थाना प्रभारी FIR दर्ज करने से मना कर सकता है, अगर हाँ तो कब जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 157 की परिभाषा:-
अगर थाना प्रभारी को किसी संज्ञेय अपराध होने की सूचना किसी व्यक्ति द्वारा मिलती है, तब वह स्वयं उस स्थान पर अन्वेषण करने जाने से पहले या अपने अधीनस्थ अधिकारी को उस स्थान का अन्वेषण करने भेजने से पहले स्थानीय अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना देगा।
(क). लेकिन अगर किसी पुलिस थाना प्रभारी को लगता है की जो सूचना उसे अपराध की दी जा रही है वह कम गंभीर (असंज्ञेय) किस्म का हैं तब वह ऐसे स्थान पर न स्वयं जाएगा न ही वह अपने अधीनस्थ किसी अधिकारी को भेज सकता है।
(ख). अगर पुलिस अधिकारी को यह भी लगता है कि व्यक्ति द्वारा की गई शिकायत किसी गंभीर अपराधों से संबंध नहीं रखती है न ही कोई ठोस तथ्य अन्वेषण करने के लिए होंगे तब वह इस मामले में अन्वेषण नहीं करेगा, अगर मामला बिल्कुल भी गंभीर नहीं है तब वह न ही प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करेगा।
2. धारा 157 के क एवं ख के अंतर्गत क्यों थाना प्रभारी अन्वेषण नहीं कर रहा है इसकी जानकारी थाना प्रभारी उस व्यक्ति को देगा जो किसी अपराध होने की जानकारी पुलिस अधिकारी को दे रहा है।
उपर्युक्त धारा 157 के नियमो से स्पष्ट होता है कि किसी गंभीर अपराध की शिकायत करने पर ही कोई थाने का प्रभारी तुरंत अन्वेषण के लिए एक्शन ले सकता है। लेकिन महिलाओं के बलात्संग के अपराध में पुलिस अधिकारी को स्वयं बिना स्पष्ट तथ्यों के अन्वेषण करने जाना होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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