पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों के लिए ध्रुव तारा सबसे महत्वपूर्ण है। यदि सूर्य जीवन के लिए तो ध्रुव तारा विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यदि ध्रुव तारा ना होता तो शायद मनुष्य दुनिया की यात्राएं ना कर पाता। दिशा भ्रम का शिकार हो जाता और भटकता रहता। आज के अत्याधुनिक युग में भी समुद्र में जहाज के कैप्टन ध्रुव तारा देखकर अपनी दिशा और दिशा सूचक मशीनों को कंफर्म करते हैं। सवाल यह है कि जब पृथ्वी अपनी धुरी पर घूम रही है तो ध्रुव तारा की दिशा क्यों नहीं बदलती। वह हमेशा उत्तर दिशा में ही क्यों दिखता है।
हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूम रही है। 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है। इसी के कारण हमें सूर्य उदय और अस्त होता हुआ दिखाई देता है और चंद्रमा का आकार पूर्णिमा से अमावस्या तक बदलता रहता है। चंद्रमा तो पृथ्वी का उपग्रह है लेकिन सूर्य भी एक तारा है। ध्रुव तारे की तरह सूर्य स्थिर है। निश्चित रूप से यह प्रश्न उपस्थित होना चाहिए कि जब पृथ्वी से सूर्य की दिशा परिवर्तित होती हुई दिखाई देती है तो ध्रुव तारे का भी दिशा परिवर्तन दिखाई देना चाहिए।
अपना उत्तर यहीं पर छुपा हुआ है
सूर्य तारा की पृथ्वी से दूरी मात्र 0.000015869 प्रकाश वर्ष है। जबकि ध्रुव तारा की पृथ्वी से दूरी लगभग 434 प्रकाश वर्ष है। पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य की परिक्रमा करती है। जबकि ध्रुव तारा उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में जो कुछ भी स्थित है, उसकी दिशा में कभी परिवर्तन नहीं हो सकता क्योंकि पृथ्वी बॉल की तरह (या फिर कार के टायर की तरह) ऊपर से नीचे गोल नहीं घूमती बल्कि अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर (लट्टू की तरह या फिर स्पिनर की तरह) घूमती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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