अपन सभी जानते हैं कि पानी की टंकी हमेशा ऊंचाई पर बनाई जाती है लेकिन पेट्रोल पंप में पेट्रोल के टैंक जमीन के नीचे बनाए जाते हैं। सवाल यह है कि जब दोनों ही लिक्विड है और दोनों को सप्लाई किया जाना है तो फिर पानी की टंकी ऊपर और पेट्रोल टैंक जमीन के नीचे क्यों बनाते हैं। आइए पता लगाते हैं:-
पानी की टंकी को ऊंचाई पर बनाने के फायदे
सबसे पहले अपन यह समझते हैं कि पानी की टंकी को ऊंचाई पर क्यों बनाते हैं। जबकि कुछ सालों पहले तक पानी के भंडार (कुएं, टंकी, तालाब) हमेशा जमीन के नीचे बनाए जाते थे। इसके पीछे सिंपल सा लॉजिक यह है कि पानी को पाइप लाइन के जरिए घरों में सप्लाई किया जाने लगा है। वाटर टैंक ऊंचाई पर होने के कारण वाटर सप्लाई के समय अच्छा प्रेशर मिलता है। यदि बिजली नहीं भी है तब भी वाटर सप्लाई किया जा सकता है।
पेट्रोल टैंक जमीन के नीचे क्यों बनाते हैं
वाटर सप्लाई के सिद्धांत पर बात करें तो पेट्रोल टैंक ऊंचाई पर बनाने के बड़े फायदे हैं। पेट्रोल पंप बिना बिजली के चल सकता है और पेट्रोल की कीमत थोड़ी सी कम हो जाएगी। यदि ऊंचाई पर बने हुए पेट्रोल टैंक में ब्लास्ट हो जाता है तो नीचे खड़े हुए लोगों को खतरा थोड़ा कम होगा। इतना फायदा होने के बावजूद पेट्रोल टैंक जमीन के नीचे बनाया जाता है।
इसके पीछे सिर्फ एक लॉजिक यह है कि पेट्रोल एक ऐसा लिक्विड है जो हवा के संपर्क में आते ही वाष्पित हो जाता है। हम जितनी ऊंचाई पर जाते हैं, हवा का दबाव उतना ही बढ़ता जाता है। ऊंचाई पर बने हुए टैंक को मौसम से बचाना असंभव है। ऐसी स्थिति में पेट्रोल की मात्रा कम हो जाएगी। यदि टैंक की पैकिंग में थोड़ी सी भी गड़बड़ हुई तो बड़ा नुकसान हो जाएगा। यही कारण है कि तमाम जोखिम और परेशानियों के बावजूद पेट्रोल टैंक को जमीन के नीचे बनाया जाता है। ताकि पेट्रोल सुरक्षित रहे और उसकी मात्रा में कोई गड़बड़ ना हो।
तकनीकी भाषा में समझिए
15 डिग्री सेल्सियस तापमान पर एक लीटर डीजल की डेंसिटी (घनत्व) रेंज 820 ग्राम से 950 ग्राम के बीच बैठती है। एक किलोग्राम डीजल से तकरीबन 43 मेगा जूल एनर्जी मिलती है, लेकिन जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है डीजल की प्रति लीटर एनर्जी वैल्यू भी कम होती जाती है। मतलब साफ है, 15 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया गया पेट्रोल, 25 डिग्री पर स्टोर किए गए पेट्रोल की तुलना में ज्यादा माइलेज देगा। 15 डिग्री सेल्सियस तापमान पेट्रोल-डीजल की ब्रिकी के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक है और यह तापमान जमीन के नीचे ही मिल सकता है।
थोड़ा और सरल भाषा में समझिए
एक डिग्री सेल्सियस तापमान बढऩे पर एक लीटर पेट्रोल के वॉल्यूम (आयतन) में 1.2 मिलीलीटर का अंतर आता है। डीजल में यह अंतर 0.8 मिलीलीटर प्रति लीटर का है। इसे इस तरीके से समझ सकते हैं, यदि पेट्रोल- डीजल को 40 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया गया है तो 1 लीटर पेट्रोल आपको 988 मिली लीटर के बराबर ऊर्जा देगा और डीजल मात्र 922 मिलीलीटर। पेट्रोल कंपनियों की रिसर्च बताती है कि 32 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया गया पेट्रोल 2% एनर्जी खो देता है। यानी आपकी मोटरसाइकिल जो 60 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देने वाली है, उसे मात्र 58.80 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज मिलेगा। 1 लीटर पर 2 किलोमीटर कम। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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