जबलपुर। सफलता सर्कस के शेरों को कभी नहीं मिलती। मौत का खतरा होता है लेकिन जिंदगी की चुनौतियों से सीखने वाले स्वतंत्र शेर ही जंगल पर राज कर पाते हैं। जबलपुर की लाडली बिटिया अहिंसा जैन (UPSC-2020 53th रैंक) की कहानी में कुछ ऐसा ही है। उन्होंने किसी कोचिंग सेंटर से सीख कर जवाब नहीं दिए बल्कि अपने ओरिजिनल थॉट्स और एक्सपीरियंस शेयर किया। नतीजा पूरा बोर्ड इंप्रेस हो गया।
अहिंसा जैन ने बताया कि आईएएस के लिए इंटरव्यू के समय वह थोड़ी नर्वस थी। आरएन चौबे सर ने इंटरव्यू शुरू करने से पहले माहौल को काफी हल्का फुल्का कर दिया ताकि अहिंसा जैन अपने जवाब देने में फ्रीडम फील कर सके। अहिंसा इससे पहले भी यूपीएससी की परीक्षा पास कर चुकी थी और IRS (इंडियन रिवेन्यू सर्विस) के अधिकारी के तौर पर नागपुर में ट्रेनिंग ले रही थी।
इंटरव्यू के दौरान उनके प्रोफेशन और ट्रेनिंग के बारे में सवाल जवाब किए गए। टैक्स के बारे में उनके ओपिनियन पूछे गए। करंट अफेयर्स में अफगानिस्तान के मुद्दे पर सवाल पूछा गया। यह सब कुछ नॉर्मल था। अहिंसा जैन का सिलेक्शन भी पक्का था परंतु अंडर हंड्रेड रैंक कंफर्म नहीं थी। सवाल खत्म होने के बाद चौबे सर ने अहिंसा से अपने बारे में कुछ बताने के लिए कहा। अहिंसा ने बताया कि वह कक्षा 3 से साइकिल चला रही हैं और साइकिलिंग उनकी हॉबी बन गई है। अहिंसा जैन ने अपने इंटरव्यू का समापन अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत के साथ किया। उन्होंने कहा कि जिंदगी भी साइकिल चलाने की जैसी है। अपना बैलेंस बनाए रखने के लिए आपको हमेशा चलते रहना होता है।
इसी बात ने पूरे बोर्ड का मन मोह लिया। अहिंसा जैन खुश है। अब वो आईएएस अफसर बनेंगे। जबलपुर खुश है कि उसकी बेटी कलेक्टर बनेगी। देश की व्यवस्थाएं सुधारने का काम करेगी।
MORAL OF THE STORY
मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि सफलता सर्कस के वेलट्रेंड शेरों को कभी नहीं मिलती। मौत का खतरा होता है लेकिन जिंदगी की चुनौतियों से सीखने वाले स्वतंत्र शेर ही जंगल पर राज कर पाते हैं। लाइफ में टॉप पर वही पहुंचता है जिसके पास अपना ओरिजिनल होता है। किसी कोचिंग सेंटर में टॉप करने वाला कंपटीशन को भी टॉप कर जाएगा इस बात की कोई गारंटी नहीं होती। इसलिए बहुत जरूरी है कोचिंग सेंटर को नॉलेज का सोर्स बनाया जाए। उसे फर्स्ट और लास्ट कतई न समझा जाए।
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