आज हम श्री गणेश से जुड़े हुए कुछ प्रमुख तथ्यों को जानने की कोशिश करेंगे जैसे - गणेश जी को प्रथम पूज्य क्यों कहा जाता है, गणेश जी को वाणी का देवता क्यों कहा गया है, कुछ भी लिखने से पहले श्री गणेशाय नमः क्यों लिखा जाता है।
श्री गणेश जी प्रथम पूज्य क्यों है - Why Shree Ganesha Is Worshiped First
श्री शिव महापुराण में उल्लेख है कि मां पार्वती के द्वारपाल गणेश जी का सिर जब शिवजी ने काट दिया था और फिर उनके शरीर पर हाथी का सिर जोड़ा गया गया था। तब पार्वती जी ने शिवजी से इस रूप में पुत्र की पूजा पर प्रश्न उठाया था। तब शिवजी ने वरदान दिया कि सभी देवी-देवताओं में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा होगी। शिवजी के इसी वरदान के कारण ही श्री गणेश जल तत्व के अधिपति हैं और सभी देवताओं का इनमें निवास है। जल तत्व के अधिपति होने के कारण ही श्री गणेश जी प्रथम पूज्य हैं और सृष्टि में सबसे पहले चारों तरफ जल ही था और वैज्ञानिक दृष्टि से भी जीवन की उत्पत्ति सर्वप्रथम जल में ही हुई थी।
श्री गणेश जी को वाणी के देवता क्यों कहा गया है - Why Shree Ganesha Is Called the Diety of Speech
बुद्धि दो प्रकार की होती है। एक जो सत्य पर चलती है, वह सुबुद्धि होती है। दूसरी जो सत्य का पालन नहीं करती है और नुकसानदायक होती है, कुबुद्धि कहलाती है। श्री गणेश, ऋग्वेद में वाणी के स्वामी भी कहे गए हैं। जैसे ही हर वाक्य का आधार है, सत्य। वाक्य के तत्व, श्री गणेश हैं और आधारभूत शक्ति सरस्वती हैं। चूँकि गणेश और सरस्वती दोनों हमेशा साथ ही हैं। इसलिए श्री गणेश वाणी के देवता कहलाते हैं। ऋग्वेद में गणेश जी को ब्राह्मणस्पति कहा गया है। ब्राह्मण शब्द का अर्थ है वाक् या वाणी इसीलिए ब्राह्मणस्पति का अर्थ है वाणी का स्वामी और गणेश जी को बुद्धि के देवता भी कहा जाता है।
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