भारतवर्ष में भगवान विश्वकर्मा की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है परंतु बहुत सारे लोगों का मानना है कि भगवान विश्वकर्मा सिर्फ विश्वकर्मा समाज के आराध्य देव है। कई लोग नहीं जानते कि भगवान विश्वकर्मा कौन हैं, सृष्टि के निर्माण में उनका क्या योगदान है और भगवान विश्वकर्मा की पूजा से क्या फल प्राप्त होता है।
भगवान विश्वकर्मा कौन है
यदि सरल शब्दों में कहें तो भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के पहले इंजीनियर हैं। शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा के महत्व को विस्तार से बताया गया है लेकिन यदि संक्षिप्त में महत्व समझना हो तो इतना काफी है कि समस्त देवी-देवताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र से लेकर भव्य भवन का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था। प्रभु विश्वकर्मा ने ही सर्व सुविधा युक्त एवं प्रकृति की हर आपदा से सुरक्षित इंद्रलोक, भगवान श्री कृष्ण की भव्य द्वारिका नगरी, जिस में निवास करने के लिए लोग जीवन भर दान पुण्य करते रहते हैं- स्वर्गलोक, जिसके वैभव से धृतराष्ट्र भी मोहित हुए- हस्तिनापुर, विश्व का अद्वितीय नगर, न भूतो न भविष्यति- लंका, बिना पायलट के मन की गति से चलने वाला पुष्पक विमान, भगवान विष्णु का चक्र और भगवान शिव एवं मां दुर्गा का त्रिशूल आदि का निर्माण श्री विश्वकर्मा ने ही किया था।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि
भगवान विश्वकर्मा की पूजा से सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसे में जयंती के दिन इंजीनियर, शिल्पकार, बुनकर आदि को विधि-विधान से विश्वकर्मा जी की पूजा करनी चाहिए। सुबह जल्द उठकर स्नान कर औजारों, मशीन आदि की सफाई करें। फिर भगवान की प्रतिमा की पूजा करें और पुष्प, फल, प्रसाद अर्पित करना चाहिए। साथ ही मंत्र (ऊं विश्वकर्मणे नमः) का जप जरूर करना चाहिए।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से क्या फल प्राप्त होता है
शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान विश्वकर्मा सभी यंत्रों में विद्यमान हैं। उनकी कृपा एवं अनुमति से ही पृथ्वी पर मशीनों का संचालन होता है। अतः मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से सभी प्रकार के मशीन, वाहन एवं उपकरण बिना किसी बाधा के निरंतर काम करते हैं और व्यापार में वृद्धि होती है। जीवन में सफलता प्राप्त होती है।