बहुत सारे लोग जिन्होंने 2G मोबाइल फोन यूज़ किया है वह जानते हैं कि मोबाइल को चार्ज करना एक सेंसेटिव सब्जेक्ट है। यदि 100% के तत्काल बाद मोबाइल चार्जर ऑफ नहीं किया तो बैटरी खराब हो जाती है। फूल जाती है और कभी-कभी फट जाती है। इसीलिए कहा जाता है कि मोबाइल को कभी 100% चार्ज नहीं करना चाहिए लेकिन सवाल यह है कि स्मार्टफोन बनाने वाले इंजीनियरों ने इस समस्या का समाधान क्यों नहीं निकाला। 100% होते ही स्मार्ट फोन की चार्जिंग ऑटोमेटिक OFF क्यों नहीं हो जाती।
स्मार्टफोन की बैटरी चार्जिंग टेक्नोलॉजी क्या है
दरअसल, जो लोग बैटरी चार्जिंग की सावधानियों के बारे में बताते हैं वह हमेशा मोबाइल फोन के लिए बताते हैं। स्मार्टफोन के लिए नहीं। स्मार्टफोन की टेक्नोलॉजी अलग है। जिन इंजीनियरों ने स्मार्टफोन बनाया है, उन्हें मालूम है कि बैटरी को सुरक्षित कैसे रखना है। दुनिया की किसी भी प्रतिष्ठित कंपनी का कोई स्मार्ट फोन मॉडल ऐसा नहीं है जिसकी बैटरी 100% चार्ज होती हो। चार्जिंग की प्रोसेस 80% से लेकर 95% तक रुक जाती है। अलग-अलग कंपनियों के अलग-अलग स्टैंडर्ड है परंतु एक बात फिक्स है कि किसी भी स्मार्टफोन की बैटरी। 100% चार्ज नहीं होती।
स्मार्ट फोन की बैटरी 100% चार्ज नहीं होती तो चार्जर ऑन क्यों रहता है
दरअसल जिस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को स्मार्ट फोन चार्जर के नाम से खरीदा और बेचा जाता है वह स्मार्ट फोन का चार्जर नहीं होता बल्कि स्मार्ट फोन के चार्जर का एडॉप्टर होता है। स्मार्ट फोन का बैटरी चार्जर सर्किट स्मार्टफोन के अंदर होता है। अपने इंजीनियर के आदेशानुसार वह बैटरी के 100% तक पहुंचने से पहले ऑफ हो जाता है। आपको जो दिखाई देता है वह स्मार्टफोन चार्जर के एडॉप्टर का इंडिकेटर मात्र होता है। वास्तविकता में तो चार्जर की ऑफ होते ही मोबाइल एडॉप्टर भी काम करना बंद कर देता है। इंडिकेटर से आपको यह पता चलता है कि बिजली के बोर्ड में करंट है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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