कोई भी सरकारी अधिकारी जिस पद पर पदस्थ है, उसके निर्धारित कर्तव्य का पालन करना अधिकारी की पदेन जिम्मेदारी है लेकिन कई बार अधिकारी किसी को तंग करने के लिए अथवा रिश्वत प्राप्त करने के लिए फाइल को दबा कर बैठ जाता है। ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करता है। कभी-कभी एकाध जागरूक नागरिक लोकायुक्त पुलिस, एंटी करप्शन ब्यूरो और सीबीआई जैसी संस्थाओं से शिकायत कर देता है। हम आपको बताते हैं कि एक अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। परमादेश रिट से पूर्व वकील का एक नोटिस काफी मदद कर सकता है।
शासकीय अधिकारी से नियमानुसार काम करवाने के लिए परमादेश रिट:-
परमादेश अर्थात हम इसे आदेश देना भी कह सकते हैं। जब कोई लोक अधिकारी अर्थात शासकीय अधिकारी विधि के अनुसार कार्य नहीं कर रहा है तब ऐसे अधिकारी को विधि के अनुसार काम करवाने के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा न्यायालय में परमादेश रिट याचिका दायर की जा सकती है। न्यायालय ऐसे अधिकारी को आदेश देगा कि विधि के अनुसार कार्य करे।
हम इसको उधारानुसार समझाते हैं:-
अगर कोई व्यक्ति किसी RTO कार्यालय में लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन की सभी शर्तों को पूरा कर लेता है और वहां का अधिकार उस व्यक्ति का लाइसेंस नहीं बनाता है। तब ऐसे अधिकारी के खिलाफ न्यायालय में परमादेश रिट याचिका लगाई जा सकती है, क्योंकि अधिकारी विधि के अनुसार कार्य नहीं कर रहा है।
अर्थात किसी भी लोक सेवक अथवा शासकीय अधिकारी द्वारा विधि की अवमानना की जा रही है या वह सरकार द्वारा बनाई गई किसी भी विधि का पालन नहीं कर रहा है तब न्यायालय ऐसे लोक अधिकारी को आदेश देगा कि वह विधि को ध्यान में रखकर कार्य करे।
कब परमादेश याचिका नहीं लगाई जा सकती है जानिए:-
1. सरकार के खिलाफ दबाव बनाकर कोई अन्य (विधि) कानून बनाने के लिए।
2. किसी अशासकीय संस्था के अधिकारी के खिलाफ।
3. किसी भी लोक अधिकारी या कलेक्टर पर कोई निर्माण कराने के लिए।
4. महंगाई भत्ता या वेतन आदि की बढ़ोतरी के लिए।
उपर्युक्त नियमों से स्पष्ट है कि अगर किसी भी अधिनियम के नियमों या धाराओं का कोई अधिकारी पालन नहीं करता है तब व्यक्ति सीधे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट मे परमादेश जनहित याचिका लगा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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