भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 का अनुच्छेद 14 भारत के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। हर भारतीय नागरिक को मतदान करने और चुनाव लड़ने का अधिकार होता है। किसी भी व्यक्ति को राज्य, भाषा, त्वचा का रंग, वर्ग, वंश, धर्म, लिंग, जाति आदि के आधार पर चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता परंतु हम आपको बताते हैं कि एक ऐसी बीमारी जिसके कारण प्रत्याशी को अयोग्य घोषित किया गया और सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को सही ठहराया।
धीरेंद्र पांडुआ बनाम उड़ीसा राज्य:-
उक्त मामले में पिटीशनर का उड़ीसा नगर निगम के पार्षद का निर्वाचन इस आधार पर अवैध घोषित कर दिया था कि वह कोढ़ का रोगी था। यह अयोग्यता उडीसा नगर निगम अधिनियम की धारा 16 (iv) और 17(1)(b) के अंतर्गत विहित थी। उड़िसा निर्वाचन आयोग के निर्णय के विरुद्ध उड़ीसा उच्च न्यायालय में अपील की गई लेकिन उच्च न्यायालय ने भी अपील को खारिज कर दिया। इसके बाद उच्चतम न्यायालय में अपील फाइल की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने यह अभिनिर्धारित किया कि उड़ीसा राज्य के अधिनियम द्वारा विहित किया गया था कि पागल व्यक्ति या कोई कुष्ट रोगी या जो वर्तमान में पागल या कोढ़ से पीड़ित हो गया हो उनके बीच वर्गीकरण करना गलत नहीं है। उसका उस उद्देश्य से जिसे उस अधिनियम द्वारा प्राप्त करना अपेक्षित है अर्थात ऐसे रोगी के मिलने से अन्य व्यक्तियों के रोग होने का खतरा हो सकता है। अतः उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है एवं यह वैध है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com