यदि कोई विदेशी नागरिक अपने देश में अपराध करके भारत में आ जाए अथवा कोई भारतीय नागरिक विदेश में अपराध करके भारत वापस आ जाए। या फिर कोई भारतीय नागरिक भारत में बैठे-बैठे किसी दूसरे देश में अपराध करे। तब क्या ऐसी स्थिति में उस देश की इन्वेस्टिगेशन एजेंसी भारत में आकर अपराधी की गिरफ्तारी, पूछताछ अथवा प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज कर सकती है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1973 की धारा 166 (ख) की परिभाषा:-
यदि कोई दूसरा देश उसके सीमा क्षेत्र में हुए किसी अपराध की इन्वेस्टिगेशन में भारत की मदद लेना चाहता है तो उसे भारत सरकार को अनुरोध पत्र भेजना होगा। केंद्र सरकार अपनी विदेश नीति एवं नियमों के अनुसार प्रकरण में मजिस्ट्रेट की नियुक्ति करेगी।
ऐसे मामलों में मजिस्ट्रेट स्वयं जांच कर सकते हैं अथवा निर्देशानुसार किसी भी पुलिस अधिकारी को इन्वेस्टिगेशन के लिए नियुक्त कर सकते हैं। जिस प्रकार इन्वेस्टिगेशन की प्रक्रिया में प्रोटोकॉल का पालन हुआ है उसी प्रकार इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट सबमिट करने के लिए प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। यानी मजिस्ट्रेट अथवा पुलिस अधिकारी सीधे किसी भी विदेशी एजेंसी को रिपोर्ट नहीं करेगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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