भारतीय दण्ड संहिता की धारा 169 बताती है कि अगर आरोपी व्यक्ति के अपराध के संबंध में कोई ठोस साक्ष्य नहीं है तब पुलिस अधिकारी आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए बिना ही हिरासत से मुक्त कर सकता है लेकिन अगर आरोपी व्यक्ति के अपराध के समय घटनास्थल पर उपस्थित होने या फिर अपराध में शामिल होने के साक्ष्य मिलते हैं, क्या ऐसी स्थिति में भी कोई पुलिस अधिकारी किसी आरोपी को कोर्ट में पेश किए बिना पुलिस हिरासत से मुक्त कर सकता है। आइए जानते हैं:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 170 की परिभाषा:-
अगर पुलिस अधिकारी को किसी अपराध के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त होती है और वह आरोपी व्यक्ति को अपनी अभिरक्षा में ले लेता है। फिर इन्वेस्टिगेशन के दौरान पाया जाता है कि आरोपी व्यक्ति अपराध के समय घटनास्थल पर मौजूद था और अपराध में शामिल था परंतु आईपीसी में इस प्रकार का अपराध जमानत के योग्य माना जाता है तब बेल बांड के आधार पर पुलिस अधिकारी आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए बिना ही रिहा कर सकता है।
पुलिस अधिकारी द्वारा जमानत पर छोड़ा गया व्यक्ति की जानकारी एवं कौन कौन से साक्ष्य हैं जो आरोपी के अपराध को सिद्ध करते हैं उनको पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट को भेजेगा या मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करेगा। अगर कोई व्यक्ति अजमानतीय अपराध का आरोपी हैं तब पुलिस अधिकारी ऐसे व्यक्ति की जमानत नहीं दे सकता है एवं पुलिस अधिकारी ऐसे व्यक्ति को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास पेश करेगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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