मजिस्ट्रेट को पुलिस अधिकारी से जो मामले किसी अपराध का इन्वेस्टिगेशन कर रहा है उससे दिन प्रतिदिन की जानकारी मिल सके एवं यह पता चले कि उसके अन्वेषण की दिशा क्या है तब वह अन्वेषण करने वाले अधिकारी धारा 172 के अनुसार एक केस-डायरी रखेगा। इस डायरी का उद्देश्य यह भी है कि न्यायालय पुलिस अधिकारी के अन्वेषण की रीति की जांच कर सके अर्थात पुलिस अधिकारी किसी अपराध के अन्वेषण में प्रतिदिन क्या कर रहा है संबंधित न्यायालय को पता होना चाहिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1972 की धारा 172 की परिभाषा:-
किसी अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने वाला पुलिस अधिकारी एक केस डायरी अपने पास रखेगा, जिसने वह दिन प्रतिदिन की जानकारी ऐसे रखेगा-अपराध की सूचना कब प्राप्त हुई, उसने इन्वेस्टिगेशन कब प्रारंभ किया, कौन कौन से अपराध से संबंधित साक्ष्य प्राप्त हुए,कब इन्वेस्टिगेशन को समाप्त किया गया।
कोई दण्ड न्यायालय जो अपराध का विचारण कर रहा है पुलिस अधिकारी से ऐसी डायरी देखने के लिए अपने पास बुलाया सकता है। लेकिन पुलिस अधिकारी की केस-डायरी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं होगी।
कोई आरोपी, वकील, पीड़ित व्यक्ति या शिकायतकर्ता पुलिस से केस डायरी नहीं मांग सकता है न ही उन्हें देखने का अधिकार होगा। सिर्फ मजिस्ट्रेट और न्यायालय को ही पुलिस इन्वेस्टिगेशन केस डायरी देखने ओर मांगने का अधिकार होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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