ऑनलाइन ठगी अब आम बात हो गई है। भारत में ऐसा कोई मोबाइल धारक नहीं, जिसके साथ ठगी की कोशिश ना की गई हो। जालसाज किसी एक शहर में बैठकर पूरे देश में ठगी करता है। सवाल यह है कि इस तरह के अपराधों की सुनवाई किस कोर्ट में होगी। जहां पर पीड़ित ठगी का शिकार हुआ वहां पर या फिर जहां पर उपस्थित रहकर अपराधी ने ऑनलाइन ठगी का प्राप्त किया। आइए जानते हैं:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 182 की परिभाषा:-
कोई ऐसा अपराध जिसने बेईमानी, छल आदि पत्रों या दूरसंचार (सोशल नेटवर्किंग) संदेश के माध्यम से की गई है तब ऐसे मामले की जाँच या विचारण उस न्यायालय में जहाँ पर अपराध घटित हुआ है वहाँ की जाएगी या उस न्यायालय में भी जहाँ से आरोपी व्यक्ति द्वारा पत्र या दूरसंचार के संदेश भेजा जा रहा है वहाँ भी मामले की सुनवाई हो सकती है।
उधारानुसार:- मोहन को एक संदेश अपने MOBILE पर प्राप्त होता है बैंक के मेन ब्रान्च मुंबई द्वारा की आप अगर पाँच हजार की राशि संदेश में दिए गए खाते में जमा नहीं करोगे तो आपका अकाउंट बंद कर दिया जायेगा मोहन भोपाल में है एवं उसकी बैंक जहाँ खाता खुला हुआ है वह इंदौर मे हैं,मोहन उस संदेश को सही मानकर पैसे डाल देता है वास्तव में वह संदेश फर्जी होता है तब मोहन अपने मामले की सुनवाई मुंबई न्यायालय में भी करवा सकता है एवं भोपाल न्यायालय में(जिस स्थान से उसे ठगा गया है दूरसंचार द्वारा) भी करवा सकता है।
"अगर मामला भारतीय दण्ड संहिता की धारा 494(पति या पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह कर लेना) या धारा 495(पति या पत्नी द्वारा पहली शादी छुपा कर दूसरी शादी कर लेना) का हैं तब ऐसे अपराध की जाँच या विचारण इस न्यायालय द्वारा किया जाएगा जहाँ पति या पत्नी अंतिम बार रहे हैं या प्रथम पत्नी अपराध किये जाने के पश्चात जहाँ स्थाई निवास करती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com