व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए अलग-अलग साधनों का उपयोग करता है जैसे बस, रेलगाड़ी, नाव, जहाज, कार आदि। ऐसी स्थिति में अगर यात्रा के दौरान किसी व्यक्ति का झगड़ा, छेड़खानी, गंभीर अपराध आदि हो जाता है एवं यात्रा का साधन बहुत से न्यायालय की स्थानीय अधिकारिता से होता हुआ जाता है तब कौनसा न्यायालय ऐसे अपराध की जाँच एवं विचारण करवा सकता हैं जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 183 की परिभाषा:-
यदि कोई अपराध ऐसे समय पर किया जाता है कि व्यक्ति किसी जलयान या किसी भी साधन से यात्रा कर रहा है तब यात्रा के दौरान जहाँ-जहाँ से वो साधन अर्थात जलयान, बस, कार आदि गया है किसी भी न्यायालय क्षेत्र में ऐसे कोई भी अपराध का विचारण एवं जाँच हो सकती है।
उधारानुसार:- अगर कोई व्यक्ति जलयान में मुंबई से बैठा हुआ है और किसी व्यक्ति से जलयान में मारपीट हो जाए और अन्य व्यक्ति उसे गंभीर चोट कर दे तब पीड़ित व्यक्ति जहाँ भी रुकेगा उस न्यायालय में अपने मामले की सुनवाई करवा सकता है ओर वह चाहे तो जहाँ से उसने यात्रा की थी वहां भी मामले की सुनवाई उस न्यायालय द्वारा भी करवा सकता है। लेकिन मामला आपराधिक(संज्ञेय) होना चाहिए। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com