भारत देश में पक्षियों से प्रेम करना एवं उनके जीवन के लिए दाना और पानी उपलब्ध कराना पुण्य का काम माना जाता है परंतु भारत का एक गांव ऐसा है जहां के लोग रात के अंधेरे में पक्षियों की सामूहिक हत्या कर देते हैं। दरअसल, ऐसा वह अंधविश्वास के चलते करते हैं परंतु कुछ लोग इसे अवसर समझकर फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रकृति की गोद में बेहद खूबसूरत गांव है जातिंगा
भारत के असम राज्य के डिमा हासाओ ज़िले में स्थित है एक गाँव जिसका नाम जातिंगा (Jatinga) है। गुवाहाटी से करीब 330 किलोमीटर दूर कटक नाम की पहाड़ी पर स्थित है। नेशनल हाईवे 27 और नेशनल हाईवे 627 इस गांव के पास से गुजरते हैं। प्रकृति की गोद में बेहद खूबसूरत गांव है। यहां की आबादी लगभग 3000 नागरिक है। लेकिन विशेष प्रकार की घटनाओं के कारण यह गांव पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बनता जा रहा है।
चांदनी रात में अचानक अंधेरा होता है, पक्षी घबरा जाते हैं
दरअसल सितंबर-अक्टूबर के महीने में जब यहां कोहरे की शुरुआत होती है। चांदनी रात के समय जब भी अचानक कोहरा छा जाता है तो बहुत सारे पंछी विचलित होकर यहां वहां उड़ने लगते हैं और शोर करते हैं। गांव के नागरिक इन्हें प्राकृतिक आपदा मानकर, इनसे बचने के लिए आग जला देते हैं। सैकड़ों पक्षी ग्रामीणों द्वारा जलाई गई आग में कूद जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है।
कई प्रजातियों के पक्षी मारे जाते हैं
मरने वाले पक्षी किसी एक प्रजाति के नहीं बल्कि आसपास के इलाकों के टाइगर बिटर्न, काले बिटर्न, नन्हे इग्रेट, तालाब के बगुला, भारतीय पित्ता, पहाड़ी दलिया, हरे रंग के कबूतर, पन्ना कबूतर, बिना गर्दन वाली लॉफिंगथ्रश, काला ड्रोंगो और किंगफिशर सहित कई प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं। एक बात समान है कि मरने वाले सभी पक्षी कम उम्र के होते हैं। यानी बाल्यावस्था में होते हैं।
पक्षी नासमझ है लेकिन इंसान तो समझदार हैं
इस घटना को पक्षियों की सामूहिक आत्महत्या बताकर पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है जबकि पक्षीविज्ञानियों की कोशिश है कि किसी भी प्रकार से पक्षियों को इस प्रकार की अकाल मृत्यु से बचाया जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि चांदनी रात में अचानक अंधेरा हो जाने के कारण पक्षी भयभीत हो जाते हैं और यहां वहां उड़ने लगते हैं। उनका शोर सुनकर ग्रामीण डर जाते हैं और किसी अज्ञात शक्ति से स्वयं की रक्षा के लिए घरों के बाहर आग जला देते हैं। अंधेरे से भयभीत पक्षी रोशनी की तरफ आते हैं और आग में जलकर मर जाते हैं। यह सामूहिक आत्महत्या नहीं बल्कि पक्षियों की हत्या है।
पक्षियों को बचाने के लिए
विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को जब इस बात के बारे में समझाया तो कुछ लोगों ने घर के बाहर आग जलाना बंद कर दिया। इससे पक्षियों की मृत्यु में 40% तक की कमी आई है। परंतु कुछ लोग इस घटना को पक्षियों द्वारा आत्महत्या बताकर पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।