भक्त जब मां दुर्गा के दर्शन करते हैं तो उनके मन में कभी कोई प्रश्न नहीं होता, क्योंकि मां प्रश्न नहीं बल्कि जीवन का उत्तर होती है लेकिन जब देवी देवताओं के वाहनों का अध्ययन किया जाता है तब ध्यान में आता है कि मां दुर्गा के चित्रों में कभी शेर तो कभी बाघ प्रदर्शित किया जाता है। प्रश्न यह है कि क्या मां दुर्गा की तस्वीर बनाने वालों से कोई गलती होती है या फिर इसके पीछे कोई और कारण है।
मां दुर्गा की सिंह सवारी की कथा
माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने वर के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या के कारण उन्हें शिव तो प्राप्त हो गए परंतु उनकी त्वचा का रंग श्याम हो गया। भगवान शिव के साथ आसन ग्रहण करने के बाद माता पार्वती ने गौर वर्ण प्राप्त करने के लिए एक बार फिर कठोर तपस्या की। इसी समय एक सिंह उनके निकट आकर बैठ गया। माता पार्वती की तपस्या पूर्ण होने तक सिंह वहीं पर बैठा रहा। माता पार्वती की तपस्या पूर्ण होने पर उन्होंने गौर वर्ण प्राप्त किया और माता गौरी कहलाईं। माता पार्वती का वाहन बाघ है लेकिन सिंह के तपस्या में रहने के कारण माता पार्वती ने शेर को भी अपना वाहन स्वीकार किया।
यही कारण है कि मां दुर्गा कभी शेर की सवारी पर तो कभी बाघ की सवारी करते हुए प्रदर्शित की जाती हैं। शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि महिषासुर का वध करते समय मां दुर्गा सिंह पर सवार थीं जबकि अन्य दैत्यों का वध करते समय माता बाघ पर सवार थीं। यही कारण है कि मां दुर्गा की चित्रों में शेर और बाघ दोनों का प्रदर्शन किया जाता है।