अपन सभी को बताया गया है कि सूर्य एक आग का गोला है। उसमें से आग की बड़ी-बड़ी लपटें निकलती है। यह कई किलोमीटर लंबी होती है। अपन सब जानते हैं कि अग्नि को प्रज्वलित होने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और अपन को यह भी पता है कि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं होती। सवाल यह है कि जब अंतरिक्ष में ऑक्सीजन ही नहीं है तो फिर सूर्य में आग कैसे लग गई और उसके पास लगातार इतनी ऑक्सीजन कहां से आ रही है जो वह पिछले 4.6 अरब सालों से लगातार जल रहा है।
स्टेलर न्यूक्लियोसेन्थेसिस किसे कहते हैं
सौरमंडल में रुचि रखने वाले उत्तर प्रदेश के स्टूडेंट हितानंद यादव का कहना है कि ऋषि-मुनियों ने सरल भाषा में समझाने के लिए कहा था कि सूर्य आग का गोला है लेकिन वास्तविकता में सूरज में अग्नि नहीं होती। अग्नि जैसी चमकदार सूर्य की किरणें और प्रकाश उस प्रक्रिया से उत्पन्न होते हैं जिसे स्टेलर न्यूक्लियोसेन्थेसिस कहते है।
बिना ऑक्सीजन सूर्य में आग कैसे जलती है
इस प्रक्रिया के अंदर न्यूक्लियर फ्यूजन होता है। हाइड्रोजन के परमाणु, हीलियम के परमाणुओं में बदलते हैं। इसी प्रक्रिया के कारण ऊर्जा उत्पन्न होती है और वह प्रकाश भी जो हमें पृथ्वी से दिखाई देता है। इस प्रक्रिया को हाइड्रोजन बर्निंग भी कहा जाता है। इसके लिए ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती।
कुल मिलाकर सूर्य में आग नहीं लगती और ना ही वह आग का गोला है। हाइड्रोजन के हीलियम में परिवर्तन की प्रक्रिया के दौरान जो प्रकाश पैदा होता है वह पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाली अग्नि के समान दिखाई देता है और सूर्य की ऊर्जा भी अग्नि के कारण उत्पन्न होने वाली गर्मी के समान होती है। लोगों को आसानी से समझ आ जाए इसलिए सूर्य को आग का गोला कहा गया। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
मजेदार जानकारियों से भरे कुछ लेख जो पसंद किए जा रहे हैं
(general knowledge in hindi, gk questions, gk questions in hindi, gk in hindi, general knowledge questions with answers, gk questions for kids, ) :- यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com