वैसे तो मच्छर किसी को नहीं छोड़ते। इंसानों का खून पीने में उन्हें काफी आनंद आता है लेकिन गोरी त्वचा वाले अक्सर यह दावा करते हैं कि मच्छर, काली त्वचा वालों की तुलना में उन्हें ज्यादा काटते हैं। आइए पता करते हैं कि क्या उनका यह दावा सही है:-
कीट विज्ञान की किताब में बताया गया है कि मादा मच्छर इंसानों के खून से प्रोटीन प्राप्त करती है। इसी प्रोटीन की मदद से उसके अंडे बनते हैं और नए मच्छर पैदा होते हैं। इंसानों का खून, मच्छर का भोजन नहीं है परंतु फिर भी खून के मामले में मच्छरों की पसंद ना पसंद काफी मजेदार है। मच्छर को त्वचा के रंग से कोई सरोकार नहीं होता। क्योंकि वह खून पीने के लिए अपने शिकार (इंसान) की पहचान मनुष्य के शरीर से निकलने वाली गंध से करते हैं। आप कितने भी अंधेरे में बैठे हो, कार्बन डाइऑक्साइड के कारण मादा मच्छर को आप की लोकेशन मिल जाती है।
जो लोग अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करते हैं, मच्छर उनका खून पीना पसंद करते हैं। एक स्टडी के दौरान यह भी पाया गया कि समूह में जब बहुत सारे लोग मौजूद हो तब A ब्लड ग्रुप वाले लोग मच्छर के टारगेट पर होते हैं। यदि उन्हें पीने के लिए A ब्लड ग्रुप मिलता है तो फिर वह कोई दूसरा विकल्प पसंद नहीं करते। जबकि O ब्लड ग्रुप मच्छरों की सबसे लास्ट चॉइस है।
यदि आप एक्सरसाइज करते हैं और आपके शरीर पर पसीना मौजूद है तो यकीन मानिए मच्छर हर हाल में आपको ढूंढ ही लेंगे। (इसी प्रकार की मजेदार जानकारियों के लिए जनरल नॉलेज पर क्लिक करें) Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (general knowledge in hindi, gk questions, gk questions in hindi, gk in hindi, general knowledge questions with answers, gk questions for kids, ) :- यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com