यह तो अपन कई बार पढ़ चुके हैं कि भगवान श्री राम के धनुष का नाम कोदंड था लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान श्री राम के धनुष का साइज और वजन कितना था। हालांकि शास्त्रों में इसका कई बार उल्लेख किया गया है। इसके साथ हमें यह भी पता चल जाएगा कि क्या कारण था जो भगवान श्री राम ने सीता जी के स्वयंवर के समय भगवान शिव द्वारा भगवान परशुराम जी को दिए गए धनुष को तोड़ दिया था।
दुनिया का पहला धनुष- देव धनुष की लंबाई और वजन
शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री राम के पास साढे पाँच हाथ लंबा धनुष था। इस धनुष को देव धनुष कहा जाता है। इसका रूप कुछ भी हो सकता है परंतु इसका वजन 2,000 पल (100 किलो) होता है। शास्त्रों में इस धनुष की लंबाई 7 पर्व भी बताई गई है। इसे देवताओं का धनुष कहा जाता है जिस से छोड़ा गया वहां कभी निष्फल नहीं जाता। कई योजन दूर लक्ष्य को भेदने में समर्थ होता है।
ब्रह्मांड में देव धनुष किस-किसने धारण किया
शास्त्रों में वर्णन है कि देव धनुष को सर्वप्रथम महादेव ने धारण किया था फिर उन्होंने भगवान श्री परशुराम जी को दिया। प्रभु श्री राम ने माता सीता के स्वयंवर के समय इसी धनुष को तोड़कर देव धनुष को नया स्वरूप प्रदान किया। जिसके माध्यम से उन्होंने रावण का वध किया। प्रभु श्री राम के बाद देव धनुष राजा भरत और द्रोण से होते हुए भीष्म पितामह तक पहुंचा। युवा भीष्म ने इसी धनुष की मदद से गंगा नदी का प्रवाह रोक दिया था। यही धनुष अर्जुन के पास था और अंत में अर्जुन शिष्य सात्यकी के पास देव धनुष होने का वर्णन मिलता है।
बीच में तीन स्थान पर मुढ़ा हुआ शार्ङ्ग धनुष (जो सींग से बना होता है) विष्णु जी का प्रिय धनुष है। जो कि सात वितस्ति (84 अंगुल) लम्बा है जिसे ऋषि विश्वकर्मा (प्राचीन इंजिनीयर) ने बनाया है।
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