gwalior gurudwara data bandi chhod history story in hindi
कहानी 400 साल पहले यानी सन 1600 की है। भारतवर्ष पर मुगलों का अधिकार था। ग्वालियर के किले को कारावास के रूप में उपयोग किया जाता है। उन दिनों मुगल तख्त पर बादशाह जहांगीर बैठा था। उसने 52 राजपूत राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बनाकर रखा हुआ था। इसी दौरान सन 1619 में 6 वें सिख गुरु हरगोविंद सिंह को मुगल बादशाह जहांगीर ने गिरफ्तार करवा लिया और ग्वालियर के किले में राजपूत राजाओं के साथ बंद कर दिया। करीब 2 साल 3 महीने तक गुरु हरगोविंद सिंह ग्वालियर के किले में साधना करते रहे।Guru Hargobind Singh data Bandi Chhod story
सन 1621 में मुगल बादशाह जहांगीर की तबीयत खराब हो गई। उसके सपने में एक फकीर बार-बार गुरु हरगोविंद सिंह जी को रिहा करने के लिए कहता था। अंततः जहांगीर ने गुरु हरगोविंद सिंह जी को रिहा करने के आदेश दे दिए। जब रिहाई के आदेश ग्वालियर के किले पर पहुंचे तो गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने अकेले रिहा होना अस्वीकार कर दिया और अपने साथ सभी 52 राजपूत राजाओं की स्वतंत्रता की मांग की।
Gwalior Fort history- The story of the arrest of 52 Rajput kings
मुगल बादशाह जहांगीर का मानना था कि 52 राजपूत राजाओं को एक साथ स्वतंत्र कर देने से उसकी सत्ता खतरे में पड़ सकती है लेकिन फकीर की बात भी नहीं डाल सकते इसलिए मुगल बादशाह ने सत्र की के जितने भी लोग गुरु हरगोबिंद सिंह जी का दामन थाम कर बाहर निकल सकते हैं उन सभी को स्वतंत्र कर दिया जाएगा।
Story of Unity of Guru Hargobind Singh
गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने बड़ी ही चतुराई के साथ रिहाई के लिए नए वस्त्रों की मांग की। इसमें उन्होंने 52 कलियों वाला अंगरखा सिलवाया। और इस प्रकार एक-एक कली पकड़ कर सभी 52 राजपूत राजा स्वतंत्र हो गए। इसी प्रसंग की याद में ग्वालियर के किले में भव्य गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है और गुरुद्वारे का नाम रखा गया है दाता बंदी छोड़।
ग्वालियर के किले पर स्थित गुरुद्वारा कब बना था
सिखों के सेवादार देवेन्द्र सिंह ने बताया कि छटवें गुरु हरगोबिंद सिंह को 1600 ईस्वी में ग्वालियर किले पर बंदी बनाकर मुगल शासन काल में रखा गया था। सन 1621 में वह 52 राजाओं को लेकर रिहा हुए थे। वहीं से उनको दाता बंद छोड़ नाम मिला। उनके इस घटनाक्रम और किले पर बंदी रहने के स्मारक के तौर पर संत बाबा अमर सिंह के द्वारा सन 1968 में ग्वालियर किले पर गुरुद्वारे दाता बंदी छोड़ का निर्माण कराया गया। गुरुद्वारा में 100 किलो सोना लगा है। गुरुद्वारा की छत पर 25 फीट पर एक सोने का गुंबद है और चार 14-14 फीट के गुंबद हैं।
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