जबलपुर। मध्य प्रदेश में हर साल हजारों क्विंटल उत्तम क्वालिटी का अनाज इसलिए खराब हो जाता है क्योंकि उसे गोदामों में सुरक्षित नहीं रखा जाता बल्कि खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। प्रथम दृष्टया यह लापरवाही प्रतीत होती है परंतु जब पता चलता है कि यह खराब अनाज मात्र ₹2 किलो में शराब कंपनियों को बेच दिया जाता है, तब यह पूरी प्रक्रिया एक साजिश, एक घोटाला जैसी लगती है। इसी का पता लगाने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने संयुक्त कमेटी का गठन किया है।
मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने राज्य शासन को आगामी सुनवाई से पूर्व कार्ययोजना भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। जबलपुर निवासी गुलाब सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सरकार हर साल किसानों से समर्थन मूल्य में अनाज खरीदती है, लेकिन अनाजों को सुरक्षित गोदामों में नहीं रखा जाता है। इसके कारण हर साल बारिश में लाखों टन अनाज सड़ जाता है।
इसी साल जुलाई में राज्य शासन ने 10 लाख टन अनाज क्रय किया, जिसका बड़ा भंडार खुले में सड़ने पड़ा हुआ है। जिस राशि में इसे क्रय किया गया, बाद में उससे काफी कम महज दो-तीन रुपये किलो के हिसाब से शराब निर्माताओं को बेच दिया जाएगा। यह हर साल की कहानी है। अनाप-शनाप रेट में खरीदी करते हैं और फिर कम दाम में बेच देते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि किसानों से खरीदे गए अनाज को गोदामों में अधिकतम 6 माह और खुले में तीन माह तक ही रख सकते है। अनाज भंडारण गृहाें में अधिकतम छह माह व खुले में महज तीन माह रख सकते हैं। राज्य सरकार की ओर से पेश जवाब में कहा गया कि कुछ जगह 7 से 19 महीने तक खुले में अनाज रखा गया है।