दुनिया में दोस्ती के किस्से तो बहुत होते हैं। परंतु इतिहास में दर्ज वही होते हैं जो सफलता के शिखर तक पहुंचते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के दो दोस्त आशुतोष देवांगन और पीयूष तिवारी की दोस्ती की कहानी हमेशा के लिए अमर हो गई क्योंकि दोनों ने एक साथ पढ़ाई की, एक साथ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में पार्टिसिपेट किया और दोनों ने टॉप किया। अब दोनों डिप्टी कलेक्टर बनेंगे।
रायपुर में रहने वाले आशुतोष देवांगन और पीयूष तिवारी ने NIT रायपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। कैंपस के दौरान दोनों का सिलेक्शन हो गया था। सैलरी पैकेज अच्छा था और दोनों ने कुछ समय तक जॉब भी किया परंतु फिर दोनों ने एक साथ डिसाइड किया कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भाग लेंगे। तैयारी के लिए दोनों ने नौकरी छोड़ दी।
महिला डीएसपी से प्रभावित होकर करियर में यू-टर्न लिया
CGPSC 2020 के नतीजों में आशुतोष देवांगन को पांचवीं और उनके दोस्त पीयूष तिवारी को आठवीं रैंक मिली है। आशुतोष ने बताया कि अदानी ग्रुप में बताओ माइनिंग इंजीनियर काम करने के दौरान सरगुजा इलाके में एक महिला डीएसपी के काम करने के तरीके ने उन्हें प्रभावित किया। इसके बाद दोनों ने फैसला लिया कि राज्य सेवा परीक्षा में पार्टिसिपेट करेंगे। करियर की पहली जॉब और लगभग ₹60000 महीना सैलरी को रिजाइन करना आसान नहीं था लेकिन प्रशासनिक अधिकारी बनने की ललक ऐसी थी कि उसने रिस्क लेने के लिए मजबूर कर दिया।
मात्र ढाई साल दुनिया से दूर रहे, अब पूरी जिंदगी त्यौहार मनाएंगे
आशुतोष ने बताया कि अपनी लाइफ के लिए चैलेंज एक्सेप्ट करने के बाद लोक सेवा आयोग की तैयारी के दौरान सब कुछ छूटता चला गया। परिवार से काफी दूर हो गए थे। तीज त्यौहार तो बड़ी बात, परिवार और सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो पाए। अपना टाइम टेबल सेट कर लिया था। उसे किसी भी स्थिति में डिस्टर्ब नहीं किया। इंटरनेट पर मौजूद मटेरियल को पढ़ाई के दौरान ज्यादा से ज्यादा यूज किया। कोचिंग में एक्सपर्ट से भी सलाह लेते रहे और उसका नतीजा सबके सामने हैं।
MORAL OF THE STORY
मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि दोस्ती हमेशा ऐसे लोगों से करो जो आपके टैलेंट को डबल कर दे। ज्यादातर स्टूडेंट्स, ऐसे लड़कों से दोस्ती करना पसंद करते हैं जो उनके साथ आसानी से एडजस्ट हो जाएं। कई बार स्टूडेंट्स दोस्ती को बनाए रखने के लिए अपनी लाइफ के टारगेट चेंज कर लेते हैं। जबकि बेहतर यह है कि लाइफ के टारगेट को सेट करने के बाद दोस्त का चुनाव करें तो ज्यादा बेहतर होगा।
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