SC-ST के व्यक्ति से जबरदस्ती सफाई करवाना या शव उठवाना कितना गंभीर अपराध है- पढ़िए SC-ST Act,1989

Bhopal Samachar
प्राचीन भारत वर्ष में वर्ण व्यवस्था के दौरान मनुष्यों की योग्यता एवं क्षमता के अनुसार उनकी सहमति के पश्चात कार्यों का विभाजन किया जाता था परंतु समाज के शक्तिशाली लोगों ने जाति व्यवस्था का संचालन शुरू कर दिया। पुत्र किसी भी कार्य के योग्य हो परंतु परंपरा निर्धारित की गई कि पुत्र पिता की संपत्ति के साथ-साथ उसके कर्तव्य एवं कार्यों का भी उत्तराधिकारी होगा। व्यक्ति की मर्जी के बिना उसे पिता की तरह कार्य करने के लिए बाध्य किया गया। जब योग्य व्यक्तियों ने इनकार किया तो उन्हें प्रताड़ित किया गया। स्वतंत्रता के बाद इस प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए कानून बनाए गए। 

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम,1989 की धारा 3(1) (झ) एवं ञ की परिभाषा :-

1. अगर कोई व्यक्ति किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति से उसकी मर्जी के खिलाफ जबरदस्ती पशु का मानव शवों को उठवाता हैं या इनके लिए कब्र, गड्डा आदि खुदवाता है तब ऐसा करवाने वाला अन्य वर्ग का व्यक्ति धारा 3(1) 'झ, के अंतर्गत दोषी होगा।

2. अगर कोई अन्य वर्ग का व्यक्ति अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्य को हाथों से सफाई करवाने के लिए दबाब डालेगा या किसी कर्मचारी से हाथ से मैला साफ करने को कहेगा या ऐसे करने के लिए आदेश देगा तब ऐसा करवाने वाला व्यक्ति धारा 3(1) ञ के अंतर्गत दोषी होगा।

नोट:- हाथ से सफाई सफाई करवाने का अर्थ है बिना ग्लव्स के खुले हाथों से गंदगी अथवा मल मूत्र की सफाई करवाना। यदि उस व्यक्ति को गंदगी अथवा मल मूत्र की सफाई के लिए नियुक्त किया गया है तब भी संक्रमण से बचाव के लिए निर्धारित मेडिकल किट के बिना उसे कर्तव्य निर्वाह करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं, यदि वह स्वयं ऐसा करता है तो उसे रोकना उपस्थित अधिकारी का कर्तव्य है।

सजा का प्रावधान:-  धारा 3(1) (झ) एवं ञ के अपराध का विचारण विशेष न्यायालय द्वारा ही किया जाएगा यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होंगे। इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।

पीड़ित व्यक्ति को राहत राशि
अनुसूचित जाति और जनजाति(अत्याचार निवारण) नियम,1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन द्वारा एक लाख की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह राशि जिला कलेक्टर या SDM या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

कानूनी जानकारी से संबंधित 10 सबसे लोकप्रिय लेख

कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर कसम क्यों खिलाते थे, रामायण पर क्यों नहीं है
अंग स्पर्श करने या अश्लील फोटो-वीडियो दिखाने वाले को नजरअंदाज ना करें, इस धारा के तहत सबक सिखाएं
मोबाइल पर ऐसे मैसेज आएं तो इस लिंक के साथ पुलिस को बताए, FIR दर्ज कराएं
इंसान को कुत्ता-कमीना कहा तो किस धारा के तहत FIR दर्ज होगी
कठोर कारावास में कैदी से क्या करवाया जाता है 
:- यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!