भोपाल। आंकड़े बताते हैं कि आबादी हर रोज बढ़ रही है। नए बच्चों का जन्म हो रहा है और मध्य प्रदेश की शिशु मृत्यु दर लगातार कम होती जा रही है। यानी बच्चों के लिए नए स्कूल और शिक्षकों की जरूरत बढ़ती जा रही है। मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सन 2008-09 में 1.25 लाख अतिथि शिक्षक थे। 2021 में 25000 भी नहीं बचे। इस हिसाब से कम से कम 100000 नियमित शिक्षकों की भर्ती होनी चाहिए थी। वह भी नहीं हुई। फिर अतिथि शिक्षक कैसे कम हुए। सन 2008 में घोटाला हुआ था या अब कोई साजिश हो गई।
मध्य प्रदेश में बढ़ती आबादी और घटते शिक्षकों का ग्राफ
2008-09 में 1.25 लाख अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी।
2016 में पदों की संख्या घटाकर 1.07 लॉक कर दी गई।
2018 में हिंदी, संस्कृत और सामाजिक विज्ञान विषय के अतिथि शिक्षकों की भर्ती बंद कर दी। पद संख्या 96000 रह गई।
कोरोना के नाम पर यह संख्या और घटकर 70 हजार कर दी गई।
इसके बाद एकल परिसर और विद्यालय के नाम पर पद घटाकर 35000 कर दिए गए हैं।
35000 में से 14000 नियमित शिक्षकों की नियुक्ति हो गई।
जनजातीय कार्य विभाग में प्रधानमंत्री की विजिट के पहले 8000 नियुक्ति हो जाएंगी।
इस प्रकार 15 नवंबर 2021 की स्थिति में मध्यप्रदेश में मात्र 22000 अतिथि शिक्षक शेष रह जाएंगे।
(आंकड़े प्रदेश कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने उपलब्ध कराए हैं। )
सरल सवाल केवल यह है कि जब आबादी बढ़ रही है तो शिक्षकों की संख्या क्यों घट रही है। सवाल अतिथि शिक्षकों का नहीं है। सवाल शिक्षकों की उपलब्धता का है। जिस प्रकार अस्पतालों में डॉक्टरों की संख्या घटा दी गई तो प्राइवेट अस्पतालों को अपने आप मुनाफा होने लगा। कहीं कोई साजिश तो नहीं, सरकारी स्कूलों और शिक्षकों की संख्या घटा दी जाए ताकि प्राइवेट स्कूलों का मुनाफा बढ़ जाए। वैसे भी ज्यादातर बड़े प्राइवेट स्कूल किसी न किसी नेता जी के ही हैं। कर्मचारियों से संबंधित समाचारों के लिए कृपया employees news पर क्लिक करें।