भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अक्सर अपने भाषणों में कहते हैं कि निर्धन छात्र पढ़ाई पर ध्यान दें, उनकी हायर एजुकेशन के लिए फीस उनका मामा भरेगा लेकिन पिछड़ा वर्ग के 600000 स्टूडेंट्स का कहना है कि मामा ने अब तक उनकी फीस नहीं भरी है। उनके अफसरों ने स्कॉलरशिप का पैसा जारी नहीं किया है। कॉलेज वाले परेशान कर रहे हैं।
पता चला है कि ओबीसी के 6 लाख विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप का पैसा रोक लिया गया है। शिक्षा सत्र 2021-22 की पढ़ाई आधी हो चुकी है। सेमेस्टर एग्जाम शुरू हो गए हैं। यह स्कॉलरशिप उन विद्यार्थियों को मिलती है जो आईआईटी, आईआईएम, आईआईएफएम, मेडिकल में प्रवेश की राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट), इंजीनियरिंग में प्रवेश की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई), नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआईयू), बीई, एमएससी विद कंप्यूटर समेत कॉलेज के बेसिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2019-20 से लेकर अभी तक स्कॉलरशिप के 1600 करोड़ रुपए छात्रों को मिलने हैं।
वर्ष 2021-22 में सरकार से 419 करोड़ स्कॉलरशिप स्कीम को मिले। अभी भी 2021-22 के छह लाख, 2020-21 के तीन लाख और 2019-20 के डेढ़ लाख छात्रों को स्कॉलरशिप का इंतजार है। हाल में अन्य पिछड़ा वर्ग एवं परिवार कल्याण विभाग ने शासन को मौजूदा स्थिति की जानकारी दी। मुख्य सचिव की मॉनिटरिंग में भी पूरा मसला है, लेकिन अभी तक स्कॉलरशिप का पैसा रिलीज नहीं किया गया।
डिपार्टमेंट ने कहा- कॉलेजों में फीस बढ़ा दी इसलिए गड़बड़ हो गई
विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि 2018 में फीस रिवाइज होने के बाद राशि एकदम से बढ़ी। इसी कारण बजट की दिक्कत है।
जेईई-मेंस से बीई : पहले 22300 रुपए लगते थे, अब 40 हजार।
मेडिकल नीट : पहले 50 हजार देना पड़ता था, अब 15 लाख रुपए हो गई।
एमएससी विद कंप्यूटर : पहले 3-4 हजार रुपए, अब 15-16 हजार रु.।
हॉस्टलर को : पहले 420 रुपए प्रतिदिन और अब 840 रुपए।
स्कॉलरशिप का काम एमपी टॉस्क को दिया जाएगा
स्कॉलरशिप वितरण का काम एनआईसी के पास है, जिसे जल्द एमपी टॉस्क के सुपुर्द कर दिया जाएगा। अजा-अजजा की स्कॉलरशिप एमपी टॉस्क के जरिए ही बंटती है।
हॉस्टल के छात्र को मेंटेनेंस भत्ता भी नहीं
मेंटेनेंस भत्ता हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को मिलता है। यह प्रति छात्र हर माह 820 रुपए है। इसी तरह डे-हॉस्टल वाले छात्रों को 460 रुपए मिलते हैं। यह पैसा भी किसी छात्र को नहीं मिला है।
ओबीसी को दिक्कत इसलिए
अजा और अजजा वर्ग के क्षेत्रों की स्कॉलरशिप स्कीम में 90% पैसा केंद्र देता है। ओबीसी वर्ग के लिए ऐसा नहीं है। यहां सिर्फ 50 करोड़ रु. हर साल मिलते हैं। यह राशि भी उसकी है, जो बच्चे राष्ट्रीय स्तर की उच्च शिक्षा में प्रवेश लेते हैं।
सरकार ने कहा- बजट की कमी है
बजट की थोड़ी कमी बनी हुई है। कई कॉलेजों ने अभी तक अपडेट डेटा विभाग को नहीं भेजा। उपस्थिति की जानकारी भेजना होती है। इन्हीं आधारों पर स्कॉलरशिप दी जाती है।’
- एमके अग्रवाल, सचिव, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण