कुबेर की विशेष कृपा के लिए धनतेरस की पूजा विधि, साल भर भंडार भरे रहेंगे - कुबेर की पूजा कैसे करें

Bhopal Samachar
दीपावली त्यौहार की पूजा धनतेरस से शुरू हो जाती है। त्रयोदशी तिथि के दिन धन के स्वामी कुबेर, आरोग्य दाता भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कुबेर के समक्ष सफेद मिठाई और भगवान धनवंतरी को बेसन से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है। पूजा के समय शुद्ध घी का दीपक जलाया जाता है। इस दिन कुबेर मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभकारी माना जाता है।

धनतेरस के दिन कुबेर यंत्र की पूजा विधि 

धन के देवता धनेश यानी कुबेर की कृपा प्राप्त करने के लिए कुबेर यंत्र की स्थापना की जाती है। कुबेर यंत्र सोना, चांदी अथवा पंचधातु में अंकित करवाया जा सकता है। कुछ लोग अपनी तिजोरी में इसे सदैव के लिए स्थापित करते हैं। कुबेर यंत्र की स्थापना से तिजोरी कभी खाली नहीं रहती और इस यंत्र के प्रभाव से दुर्भाग्य दूर हो जाता है। त्रयोदशी के दिन एक वेदी पर कुबेर यंत्र स्थापित करके उसका पूजन करें। पूजन करने के बाद यंत्र को सुरक्षित तरह से तिजोरी या जहां भी आप धन रखते हैं, उस स्थान पर रख दें। केवल पूजा के लिए इस यंत्र को निकालना चाहिए। उसके बाद फिर से वापस रख देना चाहिए। 

कुबेर की पूजा के लिए मंत्र 

मंत्र का जाप प्रारंभ करने से पहले संकल्प लेना चाहिए और संकल्प के समय अपनी मनोकामना का स्पष्ट उच्चारण करना चाहिए। संकल्प के बाद कुबेर मंत्र का जाप करें
 “ओम यक्षाय, कुबेरया, वैश्रवणाय, दानदानाथिपतिये, धनदायनी समुद्दे देहि दापय स्वाहा”

कुबेर ध्यान मंत्र

कुबरे ध्यान मंत्र बहुत ही प्रभावशाली माना गया है। कुबेर देवता को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन 11 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए।  

“मनुज बाह्या विमुना वरुस्तितम गरुड़ रत्न निंब निन्दिनकाम शिवसुख मुकुटादि विभोषितम्- वराद्यात्तम भजम् तथमिलम् अगस्ति देवा देवेश मार्तस्यालो हिताच्य- पूजयामि विद्याना प्रसन्ना सुम्बुना सुम्बो।”

कुबेर पूजा और मंत्र जाप के लिए विशेष दिन 

त्रयोदशी की तिथि को कुबेर की तिथि बताया गया है। पंचांग के अनुसार चंद्र माह का 13वां दिन त्रयोदशी कहलाता है।
त्रयोदशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें।
इसके पश्चात वेदी को साफ करके उसके ऊपर स्वच्छ वस्त्र बिछाएं और कुबेर यंत्र को बाहर निकालकर वेदी पर रखें।
हल्दी, सिंदूर और पीले चावल कुबेर यंत्र पर अर्पित करें।
इसके बाद पुष्प हाथों में रखकर अपना संकल्प करें।
संकल्प पूरा होने के पश्चात मंत्र जाप आरंभ करें। 
दोनों में से किसी भी मंत्र का जाप एक बार में पूरा यानि एक माला अवश्य करें।

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