भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के 90% पेरेंट्स स्कूल शिक्षा विभाग के उस आदेश से नाराज हैं जिसमें स्कूलों को सभी प्रकार के अधिकार दे दिए गए हैं और जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। स्कूल में यदि बच्चे संक्रमित हो जाते हैं तो स्कूल जिम्मेदार नहीं होगा। यह सर्वे भोपाल के सबसे बड़े हिंदी अखबार दैनिक भास्कर द्वारा करवाया गया है।
सरकार हमारे बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कैसे कर सकती है
पेरेंट्स का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जो गाइडलाइन जारी हुई है उसमें स्कूलों को सभी प्रकार के अधिकार दे दिए गए हैं लेकिन जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। शिवराज सिंह चौहान सरकार बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कैसे कर सकती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि स्कूल के अंदर प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ और बच्चे संक्रमित हो गए तो कौन जिम्मेदार होगा। क्या इलाज का खर्चा स्कूल उठाएगा। बच्चे की मौत पर क्या स्कूल संचालक को जेल भेजा जाएगा। गाइड लाइन में इसके बारे में कोई उल्लेख नहीं है यानी संक्रमण के लिए पेरेंट्स जिम्मेदार होंगे। सारा खर्चा उन्हें ही उठाना होगा।
आधा सत्र बीत गया अब नई स्कूल यूनिफार्म क्यों
भोपाल के ज्यादातर बड़े प्राइवेट स्कूलों ने आधे सत्र में स्कूल यूनिफार्म बदल दी। फीस का निर्धारण अपने तरीके से कर रहे हैं। खुलेआम कहा जा रहा है कि आपका बच्चा स्कूल आए या ना आए लेकिन बस फीस पूरी देनी पड़ेगी। टीचर्स की तरफ से मैसेज करवाया जा रहा है कि ऑनलाइन क्लास किसी भी कीमत पर नहीं चलेगी लेकिन स्कूल में भी पूरे 7 दिन कक्षाओं का संचालन नहीं करेंगे। कुल मिलाकर सारा खेल फीस वसूली का है। पढ़ाई पर किसी का फोकस नहीं है। पेरेंट्स का कहना है कि सरकार, स्कूल संचालकों को लूट की छूट कैसे दे सकती है। भोपाल की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया BHOPAL NEWS पर क्लिक करें.