भोपाल। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को मोबाइल गेम से बाहर दुनिया का हर रंग दिखाने की कोशिश करते हैं। यह खबर ऐसे ही पेरेंट्स के लिए है। यदि आप अपने बच्चों को पक्षियों के बारे में बताना चाहते हैं तो यही समय है जब आप बच्चों को वह दिखा पाएंगे जो साल के दूसरे महीनों में नहीं दिखा सकते।
शीत ऋतु के प्रारंभ होते ही भोपाल में प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। अगले रविवार तक बहुत सारे विदेशी प्रवासी पक्षी भोपाल में आ जाएंगे। भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में पक्षियों की लगभग 200 से ज्यादा प्रजातियां हैं। 80 से अधिक प्रजातियों के हजारों प्रवासी पक्षी सर्दी के मौसम में यहां आते हैं। उन्हें परिवार के साथ छुट्टी मनाते हुए आप अपनी आंखों से देख सकते हैं।
इनमें से कुछ बच्ची तो ऐसे हैं जो 10000 किलोमीटर से ज्यादा लंबा सफर करके भोपाल पहुंचते हैं। केवल वन विहार ही नहीं बल्कि बड़ा तालाब, केरवा, कलियासोत, अजनाल, घोड़ापछाड़, शाहपुरा तालाब के किनारे भी भारतीय और विदेशी प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है।
भोपाल में प्रवास पर आने वाले जलीय पक्षी
पेंटेड स्टोर्क , वुल्ली नैक स्टोर्क , रेड क्रेस्टेड पोचार्ड , यूरेशियन कूट , स्पॉट बिल डक , मार्श सैंड पाइपर , व्हिस्लिंग टील्स , डार्टर आदि।
भोपाल में प्रवास पर आने वाले स्थलीय पक्षी
ब्लू थ्रोट , ब्लैक रेड स्टार्ट , लैसर वाइट थ्रोट , ब्लैक हेडेड बंटिंग , कॉमन स्टर्लिंग , रोसी स्टर्लिंग , बूटेड वार्बलर , ऑरेंज मिनिवेट आदि।
पेंटेड स्टोर्क - यह संकटग्रस्त प्रजाति का पक्षी है जो हिमालय तथा साउथ ईस्ट एशिया से प्रवास कर भारत आते हैं। इसके शरीर के पीछे के पंख गुलाबी रंग लिए होते हैं।
डार्टर - यह पक्षी अपनी लम्बी गर्दन के कारण पहचाने जाते हैं। इस पक्षी को सर्प पक्षी भी कहा जाता है क्योंकि यह पानी में तैरते समय अपनी गर्दन को साँप की तरह ऊपर करते हैं। यह एक संकट ग्रस्त प्रजाति का पक्षी है।
ब्लू थ्रोट - यह पक्षी यूरोप और अलास्का से प्रवास कर भारत आते हैं। इसको हिंदी में नीलकण्डी भी कहा जाता है। यह किट भक्षी होते हैं। इनके गले पर सुन्दर नीला रंग होता है।
ब्लैक रेडस्टार्ट - यह पक्षी यूरोप ,आयरलैंड , ब्रिटैन और चीन से प्रवास कर भारत आते हैं। इनको हिंदी में काला थिरथीरा भी कहा जाता है।