दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 191 के अनुसार कोई भी आरोपी अपने अपराध का विचारण या जाँच किसी अन्य मजिस्ट्रेट से करवा सकता है, सवाल यह है कि क्या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कभी भी आरोपी के कहने पर मामले को अन्य न्यायालय को सौप देगा अगर हाँ तो कैसे? जानते हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1972 की धारा 192 की परिभाषा:-
कोई भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास मजिस्ट्रेट के पास परिवाद द्वारा कोई अपराधी का मामला सुना जाता है तब वह न्यायिक मजिस्ट्रेट आरोपी के आवेदन पर उसके मामले को उसके अनुसार अन्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास भेज सकता है।
अगर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने किसी प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को सशक्त किया है तब ऐसे मजिस्ट्रेट अपराध का संज्ञान लेने से पूर्व में बिना मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के स्वयं मामले को अन्य न्यायालय भेज सकता है उसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की सारी शक्ति प्राप्त होगी।
नोट:- मद्रास हाईकोर्ट ने यह अभिनिर्धारित किया कि यदि कार्यवाही जाँच या विचारण की अवस्था तक पहुंच गयी हैं तो इस अवस्था में अन्तरण(ट्रांसफर) सम्भव नहीं होगा। अर्थात किसी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा कोई अपराध का विचारण या जांच शुरू हो गई हो। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com