भारत के किसी भी राज्य में विधायिका (संसद एवं विधान सभा) द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार मामलों की सुनवाई एवं निर्णय दिए जाते हैं परंतु भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र है एवं भारत के संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है। जिला स्तर पर कोर्ट का क्षेत्राधिकार राज्य सरकार के समन्वय के पश्चात हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित किया जाता है। यहां प्रश्न यह है कि क्या राज्य सरकार किसी प्रकरण विशेष की सुनवाई के लिए किसी भी न्यायालय का क्षेत्राधिकार बदल सकती है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 185 की परिभाषा:-
राज्य सरकार अध्याय 13 जाँच और विचारण (अर्थात चोरी, लूट, संदिग्ध मौत, दुष्प्रेरण अपराध आदि) में किसी भी दण्ड न्यायालय को जो किसी अन्य जिला न्यायालय में विचारण या जाँच के लिए सौंप दिए गए हैं उनको किसी भी सत्र (सेशन खंड) न्यायालय या किसी विशेष वर्ग न्यायालय में भेजने, (सौपने) के आदेश दे सकती है।
लेकिन अगर संविधान के अनुच्छेद 226 या 32 के अंतर्गत उच्च न्यायालय या उच्चत्तम न्यायालय ने पहले ही न्यायालय को आदेश कर दिया है कि मामले की सुनवाई स्थानीय क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय में ही होगी तब राज्य सरकार हाई कोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध कोई आदेश जारी नहीं कर सकती, यदि करती है तो राज्य सरकार का आदेश अवैध होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com