हम अक्सर मौसम के समाचारों में हवा की गति के बारे में पढ़ते-सुनते हैं। वर्षा ऋतु में मानसून के समय हवा की गति का बड़ा महत्व होता है। वैज्ञानिक इसी के आधार पर पता लगाते हैं कि समुद्र से उठे बादल कितने समय में कहां पहुंच जाएंगे। अपना सवाल यह है कि हवा की स्पीड कैसे नापी जाती है। क्या कोई कार दौड़ा कर देखता है या फिर कोई और टेक्नोलॉजी है।
हवा की गति मापने की तकनीक क्या है
हवा की स्पीड नापने के लिए ना तो सड़क पर किसी कार को दौड़ाना पड़ता है और ना ही आसमान में कोई हवाई जहाज उड़ाना पड़ता है। एनीमोमीटर नाम का एक यंत्र बड़ी ही आसानी से हवा की गति के बारे में सटीक जानकारी देता है। एनीमोमीटर, एक ग्रीक शब्द anemos से बना है जिसका अर्थ होता है पवन, यानी हवा। इस यंत्र को आप जहां पर भी रख देंगे, वहां हवा की स्पीड बता देगा। अब तो एनीमोमीटर डिजिटल भी आने लगे हैं।
एनीमोमीटर का आविष्कार किसने किया
1450 में, इतालवी कला वास्तुकार लियोन बत्तीस्टा अल्बर्टी ने पहला मैकेनिकल एनीमोमीटर का आविष्कार किया था। 1709 में एनेमोमीटर का आधुनिक रूप सामने आया। 1846 में आयरिश शोधकर्ता, जॉन थॉमस रोमनी रॉबिन्सन द्वारा गोलार्ध कप वाला एनीमोमीटर तैयार किया गया। 1994 में भूगर्भ विज्ञानी डॉ। एंड्रियास पिफ्लिट्स द्वारा सोनिक एनेमोमीटर का आविष्कार किया गया। कप और प्रोपेलर की मदद से हवा की गति का कैलकुलेशन किया जाता है। (इसी प्रकार की मजेदार जानकारियों के लिए जनरल नॉलेज पर क्लिक करें) Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (general knowledge in hindi, gk questions, gk questions in hindi, gk in hindi, general knowledge questions with answers, gk questions for kids, ) :- यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com