govt employees news- दो शादी करने वाले कर्मचारी की पेंशन बंद, हाई कोर्ट से राहत नहीं

Bhopal Samachar
इलाहाबाद
। वरिष्ठ लोक अभियोजक के पद से रिटायर हुए सहारनपुर के मनवीर सिंह की याचिका को खारिज करते हुए उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश शासन द्वारा तय किया गया दंड उचित ठहराया। श्री मनवीर सिंह की पेंशन रोक दी गई है क्योंकि उन्होंने दो शादियां कीं थीं।

श्री मनवीर सिंह हाई कोर्ट में राहत के लिए याचिका दाखिल की थी। 5 सितंबर 1970 को उनकी नियुक्ति सहायक अभियोजन के पद पर हुई थी। डिपार्टमेंटल प्रक्रिया के दौरान प्रमोशन पाते हुए वह वरिष्ठ लोक अभियोजक के पद से 31 दिसंबर 2004 को रिटायर हुए। डिपार्टमेंट को पता चला कि पहली पत्नी के जीवित रहते हुए उन्होंने चुपके से दूसरी शादी की तो उनके खिलाफ जांच की गई और 28 जून, 2005 को उन्हें दंडित किया गया। श्री सिंह ने डिपार्टमेंट के फैसले के राज्य लोक सेवा अधिकरण अधिकरण में अपील की परंतु अधिकरण ने 2 सितंबर, 2021 को केस खारिज कर दिया।

श्री मनवीर सिंह की पहली पत्नी राजेंद्री देवी ने दो शिकायतें की थी। बाद में समझौते के कारण विभागीय कार्रवाई समाप्त कर दी गई। रिकॉर्ड में श्री मनवीर सिंह ने बताया था कि उनके बच्चे नहीं है। 13 जुलाई, 1997 को उन्होंने अर्जी दी कि उसके दो बच्चे हैं। वह नसबंदी कराना चाहता है। कंफ्यूजन को दूर करने के लिए इन्वेस्टिगेशन शुरू की गई और श्री मनवीर सिंह से पत्नी को पेश करने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी को पेश नहीं किया। यह बताया कि राजेंद्री देवी और रजनी देवी दोनों एक ही महिला के नाम है। इस पर जांच अधिकारी ने खुद जाकर राजेंद्री देवी का बयान लिया।

डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड में उनकी अधिकृत पत्नी श्रीमती राजेंद्री देवी ने बताया कि वह और रजनी देवी अलग-अलग हैं। उनके बच्चे नहीं हुए थे इसलिए श्री मनवीर सिंह ने दूसरी शादी कर ली। श्रीमती रजनी देवी से उन्हें दो संताने हैं। एक बेटी है और दूसरा बेटा। राजेंद्र देवी ने यह भी बताया कि उनका मायका गाजियाबाद में है और रजनी देवी का बुलंदशहर में।

खुलासा होने के बाद श्री मनवीर सिंह ने दलील दी कि उन्होंने दूसरी शादी नहीं की। श्रीमती रजनी देवी से बताया गया उनका संबंध लीगल नहीं है। इसलिए नियम 29 के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती। इन्वेस्टिगेशन के दौरान अधिकरण के सामने दोनों बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट एवं अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए गए जिसमें पिता की जगह श्री मनवीर सिंह का नाम था। इसी आधार पर अधिकरण ने उनकी अपील को खारिज कर दिया था।

राज्य लोक सेवा अधिकरण के फैसले के खिलाफ श्री मनवीर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने इस मामले में फैसला सुनाया। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा अधिकरण के फैसले को उचित ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया एवं निर्धारित दंड में किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया। कर्मचारियों से संबंधित समाचारों के लिए कृपया govt employees news पर क्लिक करें.

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