ग्वालियर। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री गणेश शंकर मिश्रा ने बात को बदल कर कहा है लेकिन उसका सीधा अर्थ यह है कि ग्वालियर-चंबल संभाग में जो उपभोक्ता नियमित रूप से बिजली का बिल नहीं भरते उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होगी। केवल उन्हीं उपभोक्ताओं की शिकायतों को सुना जाएगा जिन्होंने पिछले 12 महीने का बिल नियमित रूप से भरा हो।
प्रीमियम सेवा के नाम पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक गणेश शंकर मिश्रा ने इसे प्रीमियम सेवा बताया है। उनका कहना है कि प्रीमियम सेवा के तहत चयनित उपभोक्ताओं की शिकायतें पहले सुनी जाएंगी। इनकी शिकायतों का निराकरण होने के बाद डिफाल्टर की शिकायतें सुनी जाएंगी। श्री मिश्रा ग्वालियर में कंपनी अधिकारियों की बैठक लेने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो लोग बिजली चोरी करते हैं और जो लोग नियमित रूप से बिल जमा करते हैं, दोनों को समान रूप से नहीं देख सकते।
जो बिजली चोरी करते हैं वह शिकायत नहीं करते
कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर को शायद पता नहीं है कि ग्वालियर-चंबल संभाग में जो लोग बिजली चोरी करते हैं वह कंपनी के पास शिकायत नहीं करते। या तो बंदूक की दम पर सीधा तार डाल देते हैं या फिर कंपनी का लाइनमैन उनकी सेवा में हाजिर रहता है। कुछ बड़े मामलों में तो बिजली कंपनी के असिस्टेंट इंजीनियर भी बिजली चोरों की सेवा करते हुए पकड़े गए हैं।
भारत में पहली बार शिकायतों की सुनवाई में प्रीमियम सेवा
अच्छे ग्राहकों को प्रीमियम सर्विस देने की पॉलिसी कई कंपनियों में है। मल्टीनेशनल कंपनियां भी ऐसा ही करती हैं और बैंक भी लेकिन अच्छे उपभोक्ताओं को सेवा के लिए प्रीमियम कैटेगरी में रखा जाता है, शिकायतों की सुनवाई के लिए पहली बार प्रीमियम कैटिगरी सुनाई दे रही है। कितना बेहतर होता कि नियमित रूप से बिजली बिल भरने वालों को डिस्काउंट दिया जाता, या फिर साल में एक बार उनकी केबल वायर बदल देते। यदि वह मीटर की जांच करने के लिए कहते तो उसकी फीस नहीं लेते। शिकायतों की सुनवाई कितनी होती है सब जानते हैं। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.