इंदौर। दीपावली के दूसरे दिन धोक पड़वा के अवसर पर पारंपरिक हिंगोट युद्ध को रोकने के पुलिस और प्रशासन के तमाम प्रयास नाकाम साबित हुए। शुक्रवार की रात 11:30 बजे तक पुलिस तैनात रही। जैसे ही पुलिस बल युद्ध के मैदान से वापस गया, दोनों पक्षों के योद्धा मैदान में आ गए और एक दूसरे पर अग्निबाण फेंक कर हिंगोट युद्ध लड़ा। करीब 15 मिनट तक युद्ध चलता रहा।
हिंगोट युद्ध सदियों पुरानी परंपरा है, इसे खत्म नहीं होने देंगे
गौतमपुरा के लोगों का कहना है कि हिंगोट हमारी सदियों पुरानी परंपरा है। प्रशासन ने कोरोना का हवाला देकर इसे बंद कराना चाहा, लेकिन हमें परंपरा बरकरार रखना है, जिसे हमने रखा। ये भाईचारे का युद्ध है। इसे जीवित रखना बहुत जरूरी है। नहीं तो धीरे-धीरे हिंदू धर्म की सारी परंपरा विलुप्त हो जाएगी।
दिन भर तैनात रही पुलिस फिर भी युद्ध नहीं रोक पाई
हिंगोट युद्ध न हो इसके लिए शुक्रवार सुबह से ही पुलिस और जिला प्रशासन ने गौतमपूरा के मैदान में अस्थाई चौकी बनाकर सभी तरफ से बैरिकेडिंग कर दी थी। हर रास्ते पर जवान तैनात थे। युद्ध के मैदान में किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। गांव में फ्लैग मार्च भी निकाला गया।
पुलिस की मौजूदगी में घरों से भी छोड़े अग्निबाण
प्रशासन की मनाही के बावजूद लोगों ने घरों से हिंगोट छोड़े। प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों का यही कहना था कि कोरोना की वजह से भीड़ वाले आयोजन पर रोक है। पुलिस ने 32 लोगों को चिन्हित कर उनसे बॉन्ड भरवाया था।
उन्हें चेतावनी दी गई है कि माहौल बिगड़ने पर वे जिम्मेदार होंगे। उन पर शांति भंग करने की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद शाम को लोग परंपरा निभाने के लिए घरों से ही हिंगोट फेंकने लगे थे, लेकिन रात 11 बजे के बाद कई योद्धा मैदान में उतर आए और हिंगोट चलाए। इंदौर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया इंदौर न्यूज़ पर क्लिक करें.