जबलपुर। संस्कारधानी के आयुर्वेद कॉलेज के मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सरकार से सवाल किया है कि जब अस्पताल में पलंग की संख्या बढ़ाकर 100 कर दी गई तो फिर डॉक्टरों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई। केवल पलंग उपलब्ध करा देने से मरीजों का इलाज कैसे होगा। हाई कोर्ट ने शासकीय आयुर्वेद कालेज जबलपुर में हाउस फिजिशियन की कमी पर नोटिस जारी किया है।
आयुर्वेद कॉलेज में डॉक्टरों की भर्ती कब होगी, 4 सप्ताह में जवाब मांगा
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने राज्य सरकार, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सेंट्रल कौंसिल आफ इंडियन मेडिसिन, आयुष मंत्रालय और प्राचार्य शासकीय आयुर्वेद कालेज जबलपुर से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। जबलपुर निवासी डा. श्रद्धा सिंह ठाकुर की ओर से दायर जनहित याचिका में राज्य सरकार ने 11 दिसंबर, 1991 के आदेश के अनुसार शासकीय आयुर्वेद कालेज जबलपुर में हाउस फिजिशियन के तीन पद स्वीकृत किए थे।
उस समय कालेज के अस्पताल में पलंग की संख्या 30 थी। याचिका में कहा गया है कि पिछले 30 साल में कालेज के अस्पताल में पलंगों की संख्या बढ़कर 100 हो गई है, लेकिन पद नहीं बढ़ाए गए। याचिका में कहा गया है कि सेंट्रल कौंसिल आफ इंडियन मेडिसीन के 16 सितंबर 1981 के नियमानुसार 10 पलंग पर एक हाउस फिजिशियन की नियुक्ति की जाना चाहिए। अधिवक्ता मदन सिंह ठाकुर, सौरभ सिंह ठाकुर व गौरव सिंह ठाकुर ने दलील दी कि सेंट्रल कौंसिल आफ इंडियन मेडिसिन के नियमों के अनुसार शासकीय आयुर्वेद कालेज में हाउस फिजिशियन के 10 पद होना चाहिए। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। जबलपुर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया JABALPUR NEWS पर क्लिक करें.