बिजली कंपनी अपनी सुविधा के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर बिजली के तारों का जाल बुन देती है। कई बार इसी प्रकार के बिजली के तारों के कारण इंसानों और जानवरों की मृत्यु तक हो जाती है। ऐसे मामलों में बिजली विभाग, बिजली कंपनी एवं संबंधित सरकारी कर्मचारियों द्वारा मौखिक रूप से यह साबित करने की कोशिश की जाती है कि यह एक दुर्घटना है और इसके लिए मृतक इंसान या जानवर जिम्मेदार है।
दरअसल बड़ी ही चतुराई के साथ मुआवजे के दावे की संभावना को समाप्त करने की कोशिश की जाती है। मृतक के परिजन अथवा जानवर का पालक अपराध बोध से ग्रसित हो जाता है और मुआवजे के लिए दावा नहीं करता। आइए जानते हैं करंट से मौत के मामले में प्रतिकर के लिए कौन जवाबदार होगा। पढ़िए एक महत्वपूर्ण जजमेंट।
मुस्ताक अहमद बनाम जम्मू कश्मीर राज्य:-
उक्त मामले में एक महिला सार्वजनिक मार्ग से जा रही थी रास्ते में एक 11kv बिजली के तार के सम्पर्क में आने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि बिजली आपूर्ति विभाग की लापरवाही के कारण घटी ऐसी घटनाएं, मृत्यु अनुच्छेद 21 (जीवन की स्वतंत्रता) का उल्लंघन था। बिजली आपूर्ति विभाग वादी को नुकसानी देने के लिए बाध्य होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com