भारतवर्ष में 5000 वर्षों से अधिक के इतिहास में महिलाओं की निजता का सम्मान किया जाता रहा है। निजता यानी प्राइवेसी ना केवल महिलाओं का सामाजिक अधिकार है बल्कि भारत में उनका संविधानिक अधिकार भी है लेकिन कुछ महिलाएं अपनी प्राइवेसी का दायरा बदल देती है। वह एक से अधिक पुरुषों के साथ संबंध स्थापित करती है और कई बार अपने फायदे के लिए अथवा धन कमाने के लिए ऐसा करती है। प्रश्न यह है कि क्या इस प्रकार की चरित्रहीन महिला को भी संविधान द्वारा प्रदत्त निजता का अधिकार प्राप्त है:-
सुप्रीम का महत्वपूर्ण जजमेंट महाराष्ट्र राज्य बनाम मधुकर नरायन
उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि एक चरित्रहीन महिला को भी निजिता का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है और उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
इस मामले में तथ्य यह था कि एक पुलिस इंस्पेक्टर एक महिला के घर वर्दी पहनकर गया एवं उस महिला से लैंगिक संबंध स्थापित करना चाहा किंतु महिला ने उसे इनकार कर दिया। पुलिस अधिकारी ने महिला के साथ जबर्दस्ती करने की कोशिश की लेकिन महिला ने हल्ला मचा दिया और पुलिस अधिकारी पकड़ा गया।
उस अधिकारी ने अपनी और से तर्क दिया कि महिला चरित्रहीन थी जो ऐसा कार्य करती रहती है लेकिन न्यायालय में उसका साक्ष्य मान्य नहीं हैं एवं न्यायालय ने उसके इस साक्ष्य को अस्वीकार कर दिया एवं पुलिस अधिकारी को महिला के अनुच्छेद 21 के द्वारा प्रदत्त एकान्तता के अधिकार के उल्लंघन करने के लिए दोषी ठहरा कर दण्डित किया गया। - लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com