भोपाल। जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह की सफलता के बाद मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का इलेक्शन रोडमैप लगभग फाइनल हो गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का फोकस उन 80 विधानसभा सीटों पर है जहां आदिवासी मतदाता चुनाव का फैसला करते हैं। आने वाले 2 सालों में सरकार और संगठन स्तर पर इसके लिए कई बड़े फैसले किए जाएंगे।
सामान्य और ओबीसी को मनाना थोड़ा मुश्किल है
मध्यप्रदेश में राजनीति के पंडितों का मानना है कि विधानसभा चुनाव 2023 में आदिवासियों का बोर्ड शिवराज सिंह चौहान के लिए सबसे आसान होगा। 2013 का विधानसभा चुनाव उन्होंने अपनी योजनाओं की दम पर जीता। 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अनुसूचित जाति कार्ड खेलने की कोशिश की परंतु दांव उल्टा पड़ गया। सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के लोग नाराज हो गए। विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। ज्योतिरादित्य सिंधिया के दल बदल के कारण सरकार फिर से बन गई लेकिन सामान्य वर्ग की नाराजगी बरकरार है और 27% आरक्षण विवाद के कारण पिछड़ा वर्ग भी साथ देगा इसका विश्वास नहीं कर सकते।
शिवराज सिंह के लिए आदिवासियों का वोट सबसे आसान
2023 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट सबसे आसान होगा क्योंकि आदिवासियों के पास मुख्यमंत्री से करने के लिए तीखे सवाल नहीं है, और अपने भाषणों से लोगों का मन बदलना शिवराज सिंह चौहान को अच्छे से आता है। माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम के बाद से मुख्यमंत्री का पूरा फोकस आदिवासी बेल्ट होगा। वैसे भी मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान से नाराज मतदाता कांग्रेस पार्टी को वोट नहीं देते, उनकी नाराजगी केवल उनके वोट को अनुपस्थित कर देती है। यानी भाजपा का वोट प्रतिशत कम हो जाता है। इस कमी को आदिवासी वोटों से आसानी से भरा जा सकता है। मध्य प्रदेश में चुनाव संबंधी समाचार एवं अपडेट के लिए कृपया mp election news पर क्लिक करें.