भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद ने प्रदेश के शिक्षित युवाओं को स्व-रोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना को शुरू करने की मंजूरी दी है। योजना का लाभ प्रदेश के 18 से 40 वर्ष अवस्था तक के न्यूनतम 12 वीं कक्षा पास युवाओं को प्राप्त होगा।
योजना में विनिर्माण इकाई के लिये एक लाख से 50 लाख रूपये तक की परियोजनाएँ तथा सेवा इकाई अथवा खुदरा व्यवसाय के लिये एक लाख से 25 लाख रूपये तक की परियोजनाएँ मान्य की जायेगी। राज्य सरकार द्वारा वित्तीय सहायता के रूप में वितरित ऋण पर तीन प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अनुदान तथा ऋण गारंटी शुल्क प्रचलित दर से हितग्राही को अधिकतम 7 वर्षों तक दिया जायेगा। योजना का क्रियान्वयन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जायेगा। इस योजना के माध्यम से उद्योग, सेवा या व्यवसाय स्थापित करने के इच्छुक युवाओं को बैंकों के माध्यम से कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त होगा। साथ ही बैंक ऋण के लिये कोई कोलेट्रल सिक्यूरिटी भी नहीं देनी पड़ेगी।
हवाई जहाज के फ्यूल पर वेट टैक्स 25% से घटाकर 4%
मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में आर्थिक विकास के लिये एयर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिये एयरक्राफ्ट टरबाईन फ्यूल (ए.टी.एफ.) पर वेट की दरों युक्तियुक्त करते हुए ग्वालियर, खजुराहो एवं जबलपुर में निर्धारित वेट की दर 4 प्रतिशत की तरह ही भोपाल एवं इंदौर में भी ATF पर वेट की वर्तमान दर 25 प्रतिशत को घटाकर 4 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से प्रदेश में एक शहर को दूसरे शहर से विमान सेवाएँ उपलब्ध होने से पर्यटन एवं आर्थिक गतिविधियों तथा हॉस्पिटेलिटी सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही विमान सेवाएँ बढ़ने से प्रदेश में जहाँ एक ओर वैमानिक संस्थाएँ प्रदेश के शहरों से हवाई सेवाएँ संचालित करने के लिये आकर्षित होगी, वहीं दूसरी ओर आम आदमी को भी रियायती दरों पर हवाई सेवाएँ उपलब्ध हो सकेगी।
राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह का स्मारक एवं संग्रहालय
मंत्रि-परिषद ने इण्डियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एण्ड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) को राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह के स्मारक एवं संग्रहालय, जबलपुर के निर्माण कार्य के लिये राज्य शासन के प्रचलित शिड्यूल ऑफ रेट एवं उस पर 9 प्रतिशत पर्यवेक्षण शुल्क पर टर्न की बेसिस पर निविदा पद्धति की निर्धारित प्रक्रिया से छूट देते हुए कार्यादेश देने एवं उक्त कार्य में भविष्य में विस्तार आदि एवं संग्रहालय संचालन का कार्य स्थायी वित्त समिति के अनुमोदन के बाद एवं संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर आई.एन.टी.ए.सी.एच से ही कराए जाने की अनुमति देने का निर्णय लिया।
संयुक्त/सामुदायिक वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से वृक्षारोपण
मंत्रि-परिषद ने संयुक्त /सामुदायिक वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से सी.एस.आर/सी.ई.आर. एवं अशासकीय निधियों के उपयोग से वृक्षारोपण नीति अनुमोदित की है।
संयुक्त/सामुदायिक वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से सी.एस.आर/सी.ई.आर. एवं अशासकीय निधियों के उपयोग से वृक्षारोपण नीति अनुसार वन क्षेत्र की पुनर्स्थापना में भूमिका अदा करने का इच्छुक औद्योगिक समूह, निगमित निकाय, व्यक्ति या स्वयं-सेवी संस्था, वनमंडल या राज्य स्तर पर स्थापित वन विकास अभिकरण को अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। निकाय संस्थाएँ अपनी प्राथमिकता अनुसार वृक्षारोपण के लिये क्षेत्र का चयन कर सकेंगे। वृक्षारोपण के लिये न्यूनतम 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल का चयन किया जाएगा। स्थानीय प्रजातियों को वृक्षारोपण में प्राथमिकता दी जायेगी। वृक्षारोपण के लिये निधियाँ उपलब्ध कराने वाली संस्था, वन समिति और वन विकास अभिकरण के बीच एक त्रि-पक्षीय अनुबंध किया जाएगा। वृक्षारोपण के लिए निधि उपलब्ध कराने वाली संस्था को वन क्षेत्र या वनोपज पर किसी भी प्रकार का कोई अधिकार प्राप्त नहीं होगा। निधियों को प्राप्त कराने के एवज में संस्था को कार्बन क्रेडिट उपयोग करने का अधिकार होगा।
निधियाँ उपलब्ध कराने वाली संस्था द्वारा अनुबंध लागू होने के एक वर्ष की अवधि के अंदर वनमंडल स्तर पर वन विकास अभिकरण के खाते में इलेक्ट्रॉनिक रीति से जमा कराई जायेगी। वन विकास अभिकरण द्वारा कार्य सम्पादन के लिये राशि वन समिति के विकास खाते में जमा कराई जायेगी। संस्था यदि चाहे तो वन विकास अभिकरण को सूचना देते हुए सीधे राशि वन समिति के खाते में अंतरित कर सकेगा। वन क्षेत्रों में ऐसा कोई कार्य नहीं किया जाएगा, जिससे स्थानीय समुदाय के अधिकारों एवं वन आधारित आजीविकाओं पर किसी भी प्रकार का विपरीत प्रभाव पड़े। वृक्षारोपण के लिये वन समिति के सहयोग से सूक्ष्म प्रबंध योजना तैयार की जायेगी। इसे वन समिति की आम सभा से अनुमोदन के बाद वनमंडल अधिकारी द्वारा स्वीकृति दी जायेगी। कार्य संपादन वन समिति द्वारा किया जायेगा।
वृक्षारोपण के अनुश्रवण एवं मूल्यांकन की व्यवस्था विभागीय प्रक्रिया अनुसार की गई है। वृक्षारोपण को विभागीय मूल्यांकन प्रणाली में पंजीकृत कर समय-समय पर अद्यतन किया जायेगा। यह सुनिश्चित किया जायेगा कि तीन वर्ष की अवधि के बाद वृक्षारोपण में पौधों की जीवितता 50 प्रतिशत से अधिक होने पर ही रोपण को सफल माना जायेगा। जीवितता 50 प्रतिशत से कम होने पर अनुबंध निरस्त कर दिया जायेगा। एक वर्ष की अवधि के अंदर अनुबंध के अनुसार कार्य प्रारंभ नहीं करने, 2 वर्ष की अवधि में वृक्षारोपण का कार्य सम्पादित नहीं करने या अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं करने पर वनमंडल स्तरीय वन विकास अभिकरण के सचिव को अनुबंध को निरस्त करने का अधिकार होगा। त्रिपक्षीय अनुबंध निरस्त करने का आदेश सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद ही जारी किया जाएगा। अनुबंध निरस्तीकरण के विरुद्ध अपील की जा सकेगी।
मध्यप्रदेश लोकसवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त
मंत्रि-परिषद ने प्रो. राजेशलाल मेहरा सदस्य एवं कार्यवाहक अध्यक्ष को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और डॉ. कृष्णकांत शर्मा प्राध्यापक (गणित) को सदस्य के पद पर नियुक्त करने का अनुमोदन दिया।