नयी दिल्ली। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में शासकीय कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति की क्या नीति होगी, इसका निर्धारण कर दिया। उल्लेखनीय है कि अनुकंपा नियुक्ति की नीति को लेकर हमेशा विवाद होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कई विवादों का निपटारा हो जाएगा।
बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने निर्णय में कहा कि शासकीय कर्मचारी के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए वही नीति लागू होगी जो सरकारी कर्मचारी की मृत्यु दिनांक को लागू थी। यानी यदि शासकीय कर्मचारी के निधन की दिनांक को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान था तो उसका आश्रित अनुकंपा नियुक्ति का अधिकारी होगा, फिर चाहे मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान खत्म क्यों ना कर दिया हो।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। मामला टीकमगढ़ में एक चौकीदार के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने शासन को आदेशित किया था कि उसे अनुकंपा नियुक्ति जाए। जबकि चौकीदार के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान नहीं था। अमृत कर्मचारी के आश्रित को अनुग्रह राशि दी जाती थी। इस प्रावधान के तहत चौकीदार के आश्रित को भी अनुग्रह राशि दी गई थी। बाद में नीति बदली और चौकीदार के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान हो गया। हाईकोर्ट ने नवीन प्रावधान के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के आदेश दिए थे।
नियुक्ति को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने उच्चतम न्यायालय के विभिन्न फैसलों का जिक्र किया और कहा, ‘‘तय कानून के मुताबिक अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए मृतक कर्मचारी की मौत के समय जो नीति होगी उसी पर विचार होगा न कि उसके बाद की नीति पर विचार किया जाएगा। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों से संबंधित समाचारों के लिए कृपया Karmchari news MP पर क्लिक करें।