भोपाल। सरकारी नौकरी के लिए फर्जी दस्तावेज के एक मामले में मध्य प्रदेश के गुना जिले में 5 शिक्षकों को 4-4 साल जेल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट में प्रमाणित हुआ कि इन सभी ने साल 2013 में फर्जी मार्कशीट के आधार पर संविदा शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर ली थी।
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान पकड़े गए थे, DEO ने FIR दर्ज करवाई थी
सहायक मीडिया सेल प्रभारी मंयक भारद्वाज ने बताया कि तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी गुना ने 11 अक्टूबर 2013 को पुलिस थाना कोतवाली में मामला दर्ज कराया था। इसमे बताया गया कि संविदा शाला शिक्षक वर्ग 1, वर्ग 2 और वर्ग 3 की सत्यापन प्रक्रिया चल रही थी। इस प्रकिया ने नौकरी के लिए आवेदन करने वाले इमरत सिंह, सुनील उर्फ सोनू, विशाल, सुदामा किरार एवं विजय सिंह अहिरवार की डीएड/डीपीआईपी की अंकसूचियां फर्जी पाई गईं। उनमें कूट रचना की गई है। फर्जी अंकसूची के आधार पर नौकरी लेने का प्रयास किया गया।
कोर्ट ने समाज को संदेश देने के लिए दिया कठोर दंड
DEO की रिपोर्ट के आधार पर थाना कोतवाली में प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू की गई। विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्याायालय में प्रस्तुत किया गया। केस की सुनवाई के दौरान अपर सत्र न्यायाधीश प्रदीप दुबे के द्वारा अपने निर्णय में यह उल्लेखित किया गया कि 'अभियुक्तगण द्वारा शिक्षक जैसे सम्मानित पद को प्राप्त करने के लिए कूटरचित दस्तावेजों का सहारा लिया गया है। यह कल्पना से परे है कि यदि ऐसे शिक्षकों की भर्ती की जाती है तो वह छात्रों के समक्ष किस प्रकार का आदर्श प्रस्तुत करते। ऐसे शिक्षक जिनसे समाज की सुधार की अपेक्षा की जाती है वह स्वयं कूटरचित दस्तातवेजों प्रयासरत रहे है जो कि सामाजिक रूप से अत्यंत गंभीर प्रकृति का अपराध है। इसलिए अभियुक्त गण को ऐसा दण्ड दिया जाना न्यायोचित है जिससे समाज में एक शिक्षा प्रद संदेश पहुंचे एवं भविष्य में इस प्रकार के अपराधों की पुनरावृति ना हो।'
सुनवाई के बाद अदालत ने पांचों आरोपियों को दोषी माना। बुधवार को अदालत ने अपना निर्णय सुनाते हुए पांचों आरोपी इमरत सिंह, सुनील उर्फ सोनू, विशाल, सुदामा किरार एवं विजय सिंह अहिरवार को 4-4 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही आरोपियों को 1-1 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों से संबंधित समाचारों के लिए कृपया Karmchari news MP पर क्लिक करें।