भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी दीपक ठाकुर (एडिशनल एसपी स्तर) AIG स्टेट क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो को सस्पेंड कर दिया गया है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 एवं भारतीय दण्ड विधान की धारा 120-बी में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। मामला प्रवासी भारतीय नागरिक एवं महिला डॉक्टर और उसकी एडवोकेट मां को पुणे महाराष्ट्र से अवैध तरीके से गिरफ्तार करने का है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दीपक ठाकुर पर क्या आरोप लगा है
दिनांक 27 नवंबर 2012 को पुणे महाराष्ट्र से अप्रवासी भारतीय नागरिक एवं डॉक्टर रिनी जौहर और उनकी मां एडवोकेट गुलशन जौहर को मध्य प्रदेश पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किया गया था। मामले की FIR विक्रम राजपूत नाम के व्यक्ति द्वारा करवाई गई थी। इस गिरफ्तारी में CrPC के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया। दोनों महिलाओं को स्थानीय कोर्ट में पेश किए बिना पुणे से भोपाल लाया गया। महिलाओं का कहना है कि उन्हें जनरल डिब्बे में लाया गया और जमीन पर सोने के लिए मजबूर किया गया। जमानत पर रिहा होने के बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी और सुप्रीम कोर्ट ने माना कि गिरफ्तारी में CrPC के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ। FIR निरस्त कर दी गई।
गिरफ्तार करने वाले तीन पुलिसकर्मी जेल भेज दिए गए थे
इसी मामले में महिलाओं ने पुलिस टीम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की। कोर्ट ने गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करने के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को कोर्ट ने जेल भेज दिया था। महिला आरक्षक इरशाद परवीन, आरक्षक सौरव भट्ट और आरक्षक इंद्रपाल को जेल भेजा गया था।
डीएसपी दीपक ठाकुर कोर्ट में पेश नहीं हुए थे
मामले में चौथे आरोपी तत्कालीन साइबर सेल डीएसपी दीपक ठाकुर (वर्तमान में एआईजी) कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। कोर्ट को बताया गया था कि स्वास्थ्य कारणों के चलते वह पेश नहीं हो पा रहे हैं। इसी मामले में सन 2015 में लोकायुक्त पुलिस ने केस दर्ज करके इन्वेस्टिगेशन शुरू की थी। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें