भोपाल। शायद पहली बार कमलनाथ अपने जन्मदिन के अवसर पर भोपाल में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच थे। पूरी उम्मीद थी कि आज कमलनाथ आदिवासियों को कोई बड़ा उपहार देंगे। इंतजार में सुबह से शाम हो गई। कमलनाथ के स्वागत से शुरू हुआ दिन कमलनाथ के स्वागत पर ही खत्म हो गया। उन्होंने ना तो आदिवासियों को कुछ दिया और ना ही पिछड़ा वर्ग को।
जनजातीय गौरव दिवस की सफलता को बेअसर करने का मौका था
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आयोजित किए गए जनजातीय गौरव दिवस समारोह की सफलता के बाद उम्मीद की जा रही थी कि कमलनाथ कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद को छोड़ने का ऐलान करते हुए इस पर किसी जमीनी और योग्य व्यक्ति को नामांकित करेंगे। अनुमान लगाया गया था कि ऐसा करके हाल ही में सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह की सफलता को बेअसर कर देंगे, लेकिन कांग्रेस पार्टी के मैनेजमेंट गुरु ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।
कांग्रेस कार्यकारिणी में 27% ओबीसी आरक्षण का इंतजार था
कमलनाथ मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के नेता बन गए हैं। यह जानते हुए कि निर्णय में जोखिम है, उन्होंने शासकीय सेवाओं में 27% ओबीसी आरक्षण का प्रावधान किया। मामला हाईकोर्ट में अटक गया। जिन 14% OBC को नौकरी मिलने वाली थी वह भी स्थगित हो गई। उम्मीद थी कि पिछड़ा वर्ग के साथ न्याय करते हुए कांग्रेस की कार्यकारिणी में 27% ओबीसी आरक्षण का ऐलान करेंगे। अरुण यादव ने एक आवाज पर टिकट की दावेदारी त्याग दी थी। अनुमान था कि आज उन्हें उपकृत किया जाएगा, लेकिन दिन भर में कोई ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं निकली।
पुरानी परंपरा है, बड़े लोग जन्मदिन पर बांटते हैं
कमलनाथ खुद को कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा नेता कहलाना पसंद करते हैं। प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर हैं परंतु अपने नाम के आगे पूर्व मुख्यमंत्री पढ़ना पसंद करते हैं। कार्यक्रमों में कमलनाथ के लिए शाही कुर्सी का इंतजाम किया जाता है। उनके नजदीकी लोगों उन्हें विशेष प्रकार के सम्मान सूचक संबोधन से संबोधित करते हैं। भारत की पुरानी परंपरा है। बड़े लोग अपने जन्मदिन के अवसर पर गरीबों को दान करते हैं। योग्यता का सम्मान करते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह ने ऐसा कभी नहीं किया परंतु कमलनाथ से उम्मीद थी कि वह जरूर करेंगे।