भोपाल। मध्य प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहला मामला है जब आत्महत्या की सूचना पर पुलिस ने घटनास्थल तक जाने से यह कहते हुए मना कर दिया कि ऐसे कैसे मान लें किसी ने फांसी लगा ली है, पहले फांसी पर लटकी हुई डेड बॉडी का फोटो दिखाओ। युवक की लाश पुलिस के इंतजार में 24 घंटे तक फांसी पर लटकी रही।
मामला मध्य प्रदेश के जिले में पथरिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सदगुवां गांव का है। पुलिस के इस बेतुके बयान की कोई रिकॉर्डिंग नहीं है लेकिन थाने की सीसीटीवी कैमरे गवाही देंगे कि परिवार के लोग गुरुवार की शाम पुलिस थाने आए थे और वापस लौट गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताएगी कि लाश कितने दिन पुरानी है। परिवार वालों का आरोप है कि वह दीपावली की शाम थाने पहुंचे थे परंतु पुलिस उनके साथ चलने के लिए तैयार नहीं हुई। मौजूद पुलिस अधिकारी ने कहा कि पहले फांसी पर लटकी हुई डेड बॉडी की फोटो खींच कर लाओ।
मृतक का नाम संतोष अहिरवाल है। उनके रिश्तेदार नाथूराम ने पुलिस पर आरोप लगाया है। बताया है कि संतोष ने घर की छत पर छप्पर से फंदा बांधकर आत्महत्या कर ली थी। नाथूराम ने कहा कि गुरुवार की शाम पुलिस द्वारा भगा देने के बाद रात भर घर पर रहे और शुक्रवार सुबह फिर से थाने पहुंचे। तब कहीं जाकर पुलिस साथ में आने को तैयार हुई और शव का पंचनामा बनाया।
पथरिया थाना टीआई एमपी गौड़ से बात करने की कोशिश की गई परंतु वह थाने में मौजूद नहीं थे। उपस्थित पुलिस अधिकारी को सूचना दे दी गई है। उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त होते ही अपडेट की जाएगी। यह मामला पुलिस की असंवेदनशीलता की नजीर बन सकता है। इस मामले में निष्पक्ष जांच जरूरी है। यदि बात का बतंगड़ बनाने के लिए संतोष के परिजनों ने पुलिस पर झूठा आरोप लगाया है तब भी उन्हें दंडित किया जाना जरूरी है और यदि सचमुच किसी पुलिस अधिकारी ने फांसी पर लटकी हुई डेड बॉडी की फोटो खींचकर लाने के लिए कहा तो निश्चित रूप से उसे पुलिस की सेवा में नहीं होना चाहिए। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें