भोपाल। भारत का संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक को जीवित रहने के लिए अनिवार्य भोजन, रहने के लिए न्यूनतम स्थान और निशुल्क इलाज उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन मध्यप्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग ने गरीबों को उचित मूल्य की दुकान से वितरित होने वाले राशन पर प्रतिबंध लगाते हुए शर्त रख दी है कि राशन केवल उन्हें ही मिलेगा जिन्होंने वैक्सीन के दोनों टीके लगवा लिए हों।
संविधान के विरुद्ध अविवेकपूर्ण निर्णय
खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा लिया गया यह निर्णय पहली नजर में तो काफी अच्छा साउंड करता है परंतु ध्यान से देखेंगे तो संविधान के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करने वाला है। निश्चित रूप से यह अनुभवहीन अधिकारी द्वारा अति उत्साह में लिया गया निर्णय है। क्योंकि निर्धन नागरिक समाज की जिम्मेदारी हैं। देशभर से टैक्स की वसूली इन्हीं नागरिकों का जीवन स्तर सुधारने के लिए की जाती है। राशन और दवाई के वितरण पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। जीवन के लिए अनिवार्य किसी भी वस्तु के वितरण और विक्रय पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध लगाना ना केवल गलत है बल्कि अपराध भी है।
कितना अच्छा होता यदि यह आदेश जारी करते
सभी जानते हैं कि वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। नॉन वैक्सीनेटेड व्यक्ति पूरे समाज के लिए खतरा है। देशभर में ऐसे लोगों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं और उनका स्वागत भी किया जा रहा है परंतु इसी तरह के प्रतिबंध निर्धन नागरिकों और मरीजों पर लगाए जाएंगे तो उसे उचित नहीं कहा जा सकता। कितना अच्छा होता कि राशन की दुकान पर एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपलब्ध करा दें और जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है राशन के साथ टीका भी लगा देते। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया madhya pradesh news पर क्लिक करें.