mp tet varg 3 notes in hindi- principles of child development
जैसा कि हमने बाल विकास के पिछले दोनों आर्टिकल्स में जाना की बाल विकास निरंतरता के सिद्धांत, विकास क्रम की एकरूपता, वैयक्तिक अंतर, सामान्य से विशेष की ओर, एकीकरण का सिद्धांत आदि पर आधारित है। इसी क्रम में आज हम आगे के सिद्धांत जानेंगे।
दिशा का सिद्धांत- Principle of Direction
बाल विकास के सिद्धांत मुख्य रूप से 2 दिशाओं को फॉलो करते हैं -
सिरोदपादोन्मुखी विकास (Cephalocaudal Development)
यह तो हमने अपने आसपास देखा ही है कि कोई भी बच्चा जन्म के बाद सबसे पहले अपनी गर्दन को साधना सीखता है। जब तक बच्चा गर्दन को साधना नहीं सीखता, तब तक हम बच्चे को उसकी गर्दन को सहारा देकर गोद में उठाते हैं और जब वह गर्दन साधना सीख जाता है तो हम उसको आसानी से उठा पाते हैं। गर्दन साधना सीखने के बाद बच्चा अपने अन्य अंगों पेट, हाथ, पैर आदि पर नियंत्रण करना भी सीख जाता है। तो बस यह तो हम सबने देखा ही है और इसका नाम है, सिरोदपादोन्मुखी विकास (Cephalocaudal Development)
सिरोदपादोन्मुखी शब्द का अर्थ है- सिर से पैर की तरफ विकास होना। इसी तरह इंग्लिश में Cephalo का अर्थ है- Head (सिर) Caudal का अर्थ है- Leg / Tail (पैर/पूँछ)। अगर आपको इस एक शब्द का मतलब पता चल गया तो आगे कुछ भी याद करने की जरूरत नहीं है। इस एक शब्द से ही आपको पता चल जाएगा कि बालक का विकास सिर से पैर की ओर होता है और इसे ही लंबवत या Longitudinal direction भी कहा जाता है।
समीपस्थ दूरस्थ विकास (Proximodistal Development)
जब एक कोशिका से भ्रूण का विकास होना शुरू होता है तो सबसे पहले उसके शरीर के मध्य भाग में स्थित अंग जैसे- रीड की हड्डी, ब्रेन, हार्ट आदि बनते हैं जबकि बाहरी अंग जैसे- हाथ, पैर बाद में बनते हैं। इसी प्रकार बच्चे के जन्म के बाद भी सबसे पहले वह शरीर के मध्य भागो जैसे- गर्दन पर नियंत्रण करना सीखता है। जबकि बाहरी अंगों जैसे- हाथ, पैर पर नियंत्रण करना बाद में सीखता है। इसी को समीपस्थ दूरस्थ विकास, केंद्र से परिधि की ओर विकास, प्रॉक्सिमोडिस्टल डेवलपमेंट, सेंट्रल टू पेरिफेरी डेवलपमेंट कहा जाता है। इन दोनों दिशाओं के अनुसार ही बालक का विकास होता है। अगले आर्टिकल में हम विकास के सिद्धांतों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर जानेंगे।
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अस्वीकरण: सभी व्याख्यान उम्मीदवारों को सुविधा के लिए सरल शब्दों में सहायता के लिए प्रस्तुत किए गए हैं। किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते एवं अनुशंसा करते हैं कि आधिकारिक अध्ययन सामग्री से मिलान अवश्य करें।